ललित मोदी, जिस ने क्रिकेट का व्यावसायीकरण कर देश में आईपीएल यानी इंडियन प्रीमियर लीग की सफल शुरुआत की और जिस पर भारी हेराफेरी के आरोप हैं, के इंगलैंड में रहते हुए उस की सहायता करने के मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कठघरे में हैं. किसी अदालत ने तो उन्हें अभी किसी बात का दोषी नहीं माना या उन के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया पर नरेंद्र मोदी की सरकार का भ्रष्टाचारमुक्त भारत का वादा चकनाचूर हो गया है और वह मीडिया ट्रायल में बुरी तरह फंस चुकी है. वह चाहे जो कोशिश कर ले, दाग साफ करना कठिन है. भारतीय जनता पार्टी ने फिलहाल इन दोनों को अभयदान दिया है क्योंकि अपराध की स्वीकारोक्ति भाजपा के लिए उन के पद पर बने रहने से ज्यादा महंगी साबित होती. कठिनाई यह है कि ललित मोदी, जिस का पासपोर्ट रद्द था, को आनेजाने की सुविधा देने वाला सिफारिशी पत्र सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री रह कर लिखा था और वसुंधरा राजे ने सिफारिशी पत्र ब्रिटिश अधिकारियों को तब लिखे थे जब वे राजस्थान विधानसभा में विपक्ष की नेता मात्र थीं.

दोनों मामले एक जैसे होते हुए भी अलग हैं पर तार जुड़े हुए हैं. सुषमा स्वराज के खिलाफ कदम उठाना केंद्रीय नेतृत्व को झटका देना होगा और वसुंधरा राजे के खिलाफ कुछ करने पर संभव है वे अलग पार्टी बना कर मुख्यमंत्री बनी रहें. भाजपा, जो भ्रष्टाचार को निशाना बना कर जीती थी, बुरी तरह फंस गई है पर उस के पास कोई और उपाय नहीं है. ललित मोदी ने साबित कर दिया है कि समरथ को नहिं दोस गुसाईं. जैसे सोनिया गांधी ने अपने कई सहयोगियों को काफी दिनों तक बचाया था वैसे ही नरेंद्र मोदी को उन नेताओं को बचाना ही होगा जिन के बल पर पार्टी का विकास हुआ था. सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे भारतीय जनता पार्टी को बनाने वालों में से हैं और उन्होंने तिनकातिनका जोड़ कर भाजपा का घोंसला बनाया है. आज नरेंद्र मोदी जिस सत्ता का आनंद ले रहे हैं और उसे बनाने में लालकृष्ण आडवाणी व शिवराज सिंह चौहान के अलावा ये 2 महिलाएं हैं जिन्होंने संकट के दिनों से पार्टी को उबारा था. नरेंद्र मोदी सहित बाकी ज्यादातर नेताओं ने उन की मेहनत, निष्ठा, कमिटमैंट का फायदा उठाया है. भाजपा के नेताओं के मुंह बंद हैं तो इसलिए कि वे जीत का लाभ ही नहीं उठा रहे हैं, उन की मेहनत का लाभ उठा रहे हैं. आज नरेंद्र मोदी का कद इन कुछ नेताओं से बढ़ गया है. पार्टी के जनक माने जाने वाले लोगों में से सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे आदि ही हैं. उन्हें अपमानित कर के निकालना राजा राम का छोटे भाई भरत को निकालने की तरह होगा, वह भी मात्र एक दंभी, अहमी साधु दुर्वासा के कहने पर. भाजपा की उन्हें संरक्षण देने की जिद को समझना कठिन नहीं है.

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