फेसबुक,व्हाट्सऐप के बिना जिंदगी भी, क्या जिंदगी होगी. इन 2 ऐप्स ने युवाओं की जिंदगी बदल डाली है. अब दोस्तों के साथ गपें कौफीहाउसों में कम, डिजिटली ज्यादा होती हैं और होंठों की जगह कीबोर्डों पर उंगलियां ऐसे थिरकती हैं मानो भरतनाट्यम कर रही हों. लेकिन फेसबुक और व्हाट्सऐप पर कुछ भी सीक्रेट नहीं, यह पक्का हो गया है. टैक्स्ट लिखा या पोस्ट किया हुआ चुन सकते हैं. फेसबुक, व्हाट्सऐप आदि चलाने वाली कंपनियां आप को, आप की पसंद को, आप के आर्थिक स्तर को, आप की छुट्टियों को बेच सकती हैं ताकि जानकारी के आधार पर आप की मार्केटिंग की जा सके.

‘आई एम औफ टु शिमला’ टाइप करते ही आप को शिमला के होटलों के विज्ञापन दिखने लग जाएं, तो कोई बड़ी बात नहीं. गूगल में शिमला होटल सर्च करते ही आप पर होटलों की बमवर्षा होने लगती है और आप की स्क्रीन ऐसे विज्ञापनों से भरने लगती है. जो युक्ति ऐप है, उस में तो पूरी स्क्रीन थोड़ी देर बाद ही इन विज्ञापनों से भर सकती है.

विज्ञापन तो बात दूसरी, आप के पास अब पार्टी, धर्म, विचारक विशेष के विज्ञापन भी आ सकते हैं. आप को दूसरे धर्म के खिलाफ उकसाने वाले मैसेज अनजान सोर्सों से मिल सकते हैं. आप को उकसाने की कोशिश की जा सकती है. आप की जाति, आप का धर्म, आप का देश खतरे में है, ऐसा कहकह कर आप को भ्रमित किया जा सकता है. अगर तर्क और सत्य कहने वालों को पैसा न मिल रहा हो तो वे कैसे महंगा डाटा खरीद कर आप को बहकाई जा रही सामग्री परोसते. इन में आप को एकतरफा जानकारी मिलेगी.

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