रूस की सरकार सोशल मीडिया की बहुत समर्थक नहीं है क्योंकि उसे डर लगता है कि इस के माध्यम से व्लादिमीर पुतिन की अर्धतानाशाही पर कहीं आंच न आ जाए पर फिर भी बहुत हद तक जनता के दबाव के कारण उस को इस की इजाजत देनी ही पड़ती है. अब वह एक अच्छा कदम उठा रही है कि 14 साल के कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्रतिबंधित कर दिया जाए.

लेकिन इस के लिए यह जरूरी होगा कि हर यूजर के सोशल मीडिया पर आने से पहले उसे अपने पासपोर्ट की जानकारियां देनी होंगी ताकि यह पता रहे कि आवेदक 14 साल से कम आयु का तो नहीं है. अगर इस जानकारी के लिए बिना किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर किसी को भी जुड़ने की इजाजत दे दी गई तो उस पर 1 लाख से 3 लाख रुपए तक का जुर्माना होगा. जाहिर बात है कि सोशल मीडिया पर जुड़ने वाले हर व्यक्ति का कच्चा चिट्ठा कहीं मौजूद होगा और रूसी सरकार जब चाहे उसे खंगाल सकेगी.

एक अच्छे काम के पीछे किस तरह की दुर्भावना छिपी रहती है, यह हर तानाशाह और धर्मशाह जानता है. हर क्रूर शासक भी कुछ अच्छे काम करता है तो बहुत से मनमाने. लेकिन वह अपने अच्छे कामों का खुला प्रचार करता रहता है और अंधभक्त उसी को सत्य मान लेते हैं. 14 साल से कम आयु के बच्चे सोशल मीडिया पर न आएं, यह अच्छी बात है पर इस के पीछे छिपी मंशा कि सोशल मीडिया पर आने वाले हर यूजर को अपने माथे पर अपना आधार नंबर लगा कर चलना पड़े, गलत होगा. भारत सरकार ने कालेधन के समाप्त करने के नाम पर इसी तरह का नाटक खेला था. कालाधन समाप्त तो हुआ नहीं, हां, वह अमीरों के हाथ से निकल कर शायद बैंकरों, अफसरों, पुलिस वालों के पास चला गया. रूसी सरकार के पदचिह्नों पर चलते हुए भारत में भी बच्चों को बचाने के नाम पर ऐसा ही कुछ होने लगे, तो आश्चर्य नहीं.

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