हरियाणा में हिसार जिले के बरवाला गांव स्थित रामपाल के किलेनुमा आश्रम पर पुलिस को धावा बोलने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी जैसे कि ‘आपरेशन ब्लू स्टार’ में भिंडरावाले को पकड़ने के लिए फौज की बटालियन को करनी पड़ी थी जिस का नतीजा यह हुआ था कि खालिस्तान का आंदोलन तो खत्म हो गया पर इंदिरा गांधी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. रामपाल अभी तक भिंडरावाला बना नहीं था पर वह कुछ उन्हीं कदमों पर चल रहा था. उस ने लाखों लोगों को भक्त बना डाला जो पैसा तो देते ही हैं, जान तक देने को तैयार हैं. उन्हीं के बलबूते वह अदालती आदेशों की अवहेलना कर रहा था पर उच्च न्यायालय की सख्ती के कारण पुलिस को हिचकिचाते हुए ही सही, आश्रम पर धावा बोलना पड़ा.

इस तरह के गुरु देशभर में फैले हैं और आश्रमों में शहंशाहों की तरह रह रहे हैं. ये देश के नए जागीरदार और छोटे राज्य बने हुए हैं. किसी भी सड़क पर चले जाइए, हर 20-25 किलोमीटर की दूरी पर एक भव्य इमारत किसी आश्रम की दिख जाएगी. धर्म को बेचने का जो संगठित षड्यंत्र रचा जा रहा है, रामपाल उसी की देन है और उसे एक अति महत्त्वाकांक्षी की खप्ती समझना गलत होगा.

मानवता की रक्षा के लिए भगवान ने धर्म को बनाया है, धर्म के दुकानदार इन झूठे बोलों को इतनी बार बोलते हैं कि वे सच लगने लगते हैं. धर्म की दुकान पर सदाचार, भाईचारा, परिश्रम, दया, भक्ति, दान, बराबरी बिकते हैं, यह सोच कर लोग अपनी गाढ़ी कमाई खर्च करते रहते हैं और धीरेधीरे उस के मकड़जाल में इतने फंस जाते हैं कि मारनेमरने को पुण्य कार्य समझने लगते हैं. रामपाल ने जो किया वह विश्वभर में हो रहा है, हमारे यहां कुछ ज्यादा हो रहा है. यहां अब हर जाति अपना गुरु खोजखाज कर पेश कर रही है और उसे स्वर्णजडि़त सिंहासनों पर बिठा कर खुद को धन्य मान रही है.

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