भारतीय जनता पार्टी की तारीफ करनी चाहिए कि जम्मू के कठुआ और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में अपने समर्थकों को बलात्कार जैसे आरोप से बचाने के लिए वह जीजान से जुटी रही. जिसे 2 गायों के अपनेआप मर जाने पर दलितों और मुसलमानों पर कहर ढाने में देर नहीं लगती उस पार्टी की अपनों को बचाने की संस्कृति ही भारतीय जनता पार्टी को ‘उत्तम’ पार्टी बना रही है.

2002 में नरेंद्र मोदी की गुजरात संहार में भूमिका की आज तक पार्टी पूरी तन्मयता से रक्षा कर रही है. जैसे ही यह मामला उठाया जाता है, तुरंत पार्टी के सारे नेताओं को 1984 के दंगे याद आ जाते हैं और वे कहने लगते हैं कि कांग्रेस द्वारा किसी को 1984 के दंगों में सजा न देने का अर्थ है कि देश का कानून ऐसा है कि जो सत्ता में है वह गलत कर ही नहीं सकता, वह गुनाहगार हो ही नहीं सकता.

यही जम्मू के कठुआ और उत्तर प्रदेश के उन्नाव के मामलों में हुआ. अगर आम लोगों ने यह कांड किया होता तो प्राथमिकी लिखने से पहले अभियुक्त गिरफ्तार हो चुका होता पर चूंकि इस मामले में अपराधियों ने भाजपाई रक्षाकवच धारण कर रखा था, सो, पार्टी, सरकार, पुलिस, अदालत सब चुप रहे.

अपनी सत्ता के दौरान कांग्रेस अपनों को यदाकदा गिरफ्तार होने देती थी, और तभी उस में इतने निष्ठावान सदस्य कहां हैं जो मरने तक पार्टी के साथ रहें. भाजपा तो कहती है कि जो एक बार भाजपाधर्म ग्रहण कर ले वह सब पापों से ऊपर

हो गया और गरीबअमीर, चोरीडकैती, किडनी खरीद, बैंक लोन, अपनों को टैंडर देने जैसे छोटे अपराध वैसे ही शुद्ध हो जाते हैं जैसे राम का बालि को पेड़ की आड़ से तीर मारना या भीम का कृष्ण के कहने पर दुर्योधन की जांघ पर गदा वार करना था.

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