राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने एक सभा में यह कह कर कि सांसद संसद में बहस के दौरान आपसी गपशप और साडि़यों की चर्चा करते रहते हैं, भंडाफोड़ तो किया है पर सच कहा है. 540 जने सब के सब एकसाथ किसी भी गंभीर विषय पर न बोल सकते हैं और न ही उसे सुन सकते हैं. बहुत से सांसदों के पास कागजों को देखने का अवसर या समय नहीं होता और बहुत से सत्तारूढ़ पार्टी में हो कर भी पार्टी के लिए निरर्थक बने रहते हैं.

सुप्रिया सुले ने यह मान कर कि संसद भवन में पहुंच कर वे विलक्षण नहीं बन जाते हैं, भला किया है. सांसद कोई देवदूत नहीं होते. साधारण लोगों में से चुन कर आए साधारण लोग ही होते हैं और जो विशाल क्षेत्र वाली संसद के कक्षों में खोएखोए रहते हैं. सत्तारूढ़ व विपक्षी दलों के मुख्य सांसदों को छोड़ दें तो किसी के पास न कहने को ज्यादा होता है और न ही उन की अपनी पार्टियां उन की सुनती हैं. ऐसे में अगर वे मोबाइल पर टैक्स्ट कर के अपना दूसरा काम कर लें या फुसफुसा कर दूसरे की जैकेट या साड़ी की तारीफ कर दें तो आफत नहीं आ जाती. यह सोचना कि आईआईटी दिल्ली या आईआईएम अहमदाबाद की कक्षाओं में सिर्फ नोट लिए जाते हैं और मोटी किताबों को चाटा जाता है, तो यह गलत है. पढ़ाई के साथ दूसरे काम भी होते हैं.

आदमी आखिर सामाजिक जीव है और जहां 4 लोग बैठेंगे आपसी बातें करेंगे ही. देश की चिंता करते रहने से कोई लाभ भी न होगा. यह भ्रम है कि अगर सांसद बहस करते रहें और कानून बनाते रहें तो देश अच्छा चलेगा. हमारे आश्रमों में घंटों यज्ञ होते हैं, अखंड रामायण पाठ होते हैं, कई दिनों की तपस्या होती है तो क्या कुछ मिलता है? क्या हरिद्वार या वाराणसी दूसरे शहरों से ज्यादा अच्छे हैं? यदि सांसद हमेशा मुंह गंभीर बना कर बैठेंगे तो आसमान से सोना नहीं बरसेगा. रैजिमैंटेशन कहीं भी काम नहीं आता. कम्यूनिस्ट देशों की संसदों में शायद हमेशा कड़ा अनुशासन रहता है जबकि जापान और ताइवान की संसदों में गंभीर बहस भी होती है और हाहाहीही भी जम कर होती है. जापान और ताइवान दूसरे देशों से बहुत आगे हैं जबकि उन के सांसद हमेशा देश की समस्याओं पर ही चर्चा नहीं करते रहते. और फिर औरतें हैं तो औरतों वाली बातें क्यों न करें? जैसेजैसे उन का प्रतिशत बढ़ेगा, विधान सभाओं और संसद में तरहतरह की बातें तो होंगी ही, जो इन विधान मंडलों को नया जीवन भी देंगी. कंक्रीट के बीच ताजा सुगंध भरी हवा आएगी. सुप्रिया सुले को धन्यवाद दें कि उन्होंने असलियत बता कर महिमामंडल की परत उतार दी.

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