हवाई उड़ान में अगर कोई गायक साथ मिल जाए और साथ चल रहे यात्रियों के अनुरोध पर गाने गा दे तो उस पर तालियां बजनी ही चाहिए पर जैट एयरवेज ने अपने कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की है कि उन्होंने सोनू निगम को उद्घोषणा सिस्टम से गाना क्यों गाने दिया? सरकारी संस्था डीजीसीए जो हवाई जहाजों को नियंत्रित करती है, को बड़ी आपत्ति है. यह आपत्ति बेमतलब की है. हर हवाईजहाज का सिस्टम सौफ्ट म्यूजिक देने के लिए वैसे ही इस्तेमाल होता है और अगर उस में गायक ने छरहरी एयरहोस्टेस के बच्चों वाले निर्देश देने की जगह प्रेम गीत गा दिए तो क्या हर्ज है. हवाईजहाज की सुरक्षा पर तो इस से कोई आंच नहीं आती, क्योंकि अगर कैप्टन को कुछ कहना है तो वह सिस्टम को ओवरराइड कर सकता है.

यह असल में नियमों को बिना जानेपरखे ढोने की आदत का हिस्सा है. अनुमति के बिना ऐसा क्यों किया गया? अगर अनुमति मिल जाती तो क्या हो जाता? क्या अनुमति देने वाले को मालूम होता कि जोधपुरमुंबई की फ्लाइट की उड़ान के दौरान 200 किलोमीटर बाद 32 हजार फुट की ऊंचाई पर एयर पौकेट मौजूद होगी जो सोनू निगम के गायन के दौरान झटके दिलवाएगी?

हमारे जीवन में इस तरह के नियमों को पीटने की बहुत आदत है जो आमतौर पर धर्म के दुकानदार मन में भरते हैं. यह सही है, यह गलत है, कोई तिलकधारी दाढ़ीधारी या चोलाधारी ही बताएगा मानो वही प्रकृति को चला रहा हो, वही मौसम बदल रहा हो, वही खाना पैदा कर रहा हो, वही जीवनमृत्यु ला रहा हो. शासकों ने इन पंडों, मौलवियों की दखलंदाजी के अनुसार लोगों को अपने निर्देशों में ढालना शुरू किया है ताकि जनता गुलाम बनी रहे.

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