जम्मूकश्मीर व झारखंड के चुनावों के नतीजे अपेक्षा अनुसार ही निकले. झारखंड में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आ गई जबकि जम्मूकश्मीर में दूसरी बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. कांगे्रस को दोनों राज्यों में पिछले लोकसभा चुनावों की तरह बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी है. भारतीय जनता पार्टी के नेता नरेंद्र मोदी ने इन चुनावों में एक बार फिर अपने बल पर पार्टी को जीत दिला कर दिखा दिया है कि वे अब पार्टी के दूसरे नेताओं के रहमोकरम पर नहीं हैं, अपने बल पर राष्ट्रीय नेता हैं. कश्मीर जहां समझा जाता था कि भारतीय जनता पार्टी के पैर कभी नहीं जमेंगे, वहां भी दूसरे नंबर पर पहुंच कर भाजपा ने वास्तव में 1950 से 1990 तक की कांगे्रस का स्थान पा लिया है.

नरेंद्र मोदी ने एक साल में वह स्थान बना लिया जो आमतौर पर नेताओं को वर्षों में मिलता है. यह उन की कर्मठता व आत्मविश्वास का नतीजा है. झारखंड और जम्मूकश्मीर दोनों राज्य अलग मिजाज के हैं. एक राज्य में आदिवासियों की बहुलता है तो दूसरे में मुसलिमों की और केंद्रीय पार्टियां आमतौर पर वहां दबी सी रहती हैं. भारतीय जनता पार्टी ने इन दोनों राज्यों में अखिल भारतीय मुद्दों को उठाया और जीत हासिल की. क्षेत्रीय, जातीय या धार्मिक मामले अगर पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं तो छिप जरूर गए हैं.भारतीय जनता पार्टी ने एक तरह से देश में जाति, भाषा और काफी हद तक धर्म की पड़ी सलवटों पर प्रैस फेर दी है और पूरा देश वैसा ही एक आवाज में बोलने लगा है जैसा धुआंधार सरकारीकरण के बाद ‘गरीबी हटाओ’ नारे के साथ इंदिरा गांधी के समय बोला था. फर्क यह है कि अब भगवाकरण के बाद ‘विकास करो’ की बात की जा रही है.

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