जम्मू कश्मीर में पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी की महबूबा मुफ्ती भारतीय जनता पार्टी की कृपा से मुख्यमंत्री तो बन गई हैं पर लगता है वे कश्मीर को जलवा ही देंगी. घाटी की जनता को वैसे ही सरकारों से बहुत नाराजगी रहती है, ऊपर से मुफ्ती का भारतीय जनता पार्टी से तब समझौता करना जब उस का कट्टरवादी चेहरा और ज्यादा उग्र होता जा रहा हो, शायद यह कश्मीरियों के गले न उतर रहा हो. पाकिस्तान इस मौके का फायदा न उठाए, ऐसा कैसे हो सकता है. पाकिस्तान सरकार चाहे चुप बैठी रहे, मगर पाकिस्तान में ऐसे ताकतवर गुटों की कमी नहीं है जो सरहद के पार से ही चिंगारियां फेंक सकते हैं. हंदवारा में सेना के जवानों द्वारा एक लड़की से बदसलूकी को ले कर हुए झगड़े पर सैनिकों ने गोलियां चला कर कश्मीर व भारत सरकार दोनों को सकते में डाल दिया है. ऐसे में कश्मीर फिर जल सकता है.

महबूबा मुफ्ती का कद काफी बड़ा है पर वे कश्मीरी आम जनता को समझाबुझा सकें, इस की कला उन में है, पता नहीं. महबूबा ने भाजपा से काफी नाराजगी तो दिखाई और अपने पिता की मृत्यु के सप्ताहों बाद तक सरकार नहीं बनाई थी लेकिन आखिरकार वे भाजपा की झोली में ही जा गिरीं. इस से उन की राजनीतिक धार कुंद हो गई है. अब वहां नेतृत्व में एक खाली स्थान पैदा हो गया है. कश्मीर देश का सब से ज्यादा संवेदनशील इलाका है पर सरकार उसे हमेशा मिलिटरी सौल्यूशन की नजर से ही देखती रही है. दुनिया के ऐसे सभी देश, जहां सेना के बल पर जनभावना को नियंत्रित किया गया है, सदा ही अस्थिर रहे हैं. शासकों को तो आमतौर पर नुकसान नहीं होता पर आम जनता छोटेछोटे मामलों पर भड़क जाती है और फिर फोर्स इस्तेमाल की जाती है जिस का नतीजा और तेज विरोध के रूप में सामने आता है.

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