सुंदरता अभिशाप भी है, यह हर युवती ही नहीं, किशोरी भी जान जाती है. सुंदर लड़कियों को सुंदरता के कारण जहां प्यार दुलार मिलता है वहीं उन्हें भयंकर तनाव से गुजरना पड़ता है क्योंकि आसपास का हर कोई उन्हें छेड़ना चाहता है, छूना चाहता है, झपटना चाहता है.  सुंदरता की प्रशंसा के शब्द तब हवा में बह जाते हैं जब आवारा टाइप के लोगों को तो छोडि़ए, चाचा, चचेरे भाइयों टाइप के लोग भी हाथ फेरने से बाज नहीं आते.

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत शहर की रेखा लोधी को तो सुंदरता का बुरा खमियाजा भुगतना पड़ा. खमियाजा जो उस ने स्वयं ही स्वयं को दिया. अति सुंदर रेखा विवाह होते ही आसपास वालों की आंखों का तारा तो बन गई पर पति जलनेभुनने लगा. वह ईर्ष्या की आग पत्नी पर उडे़लने लगा. पति का पिता, जिस ने शुरू में तो सुंदर बहू पर लाड़ जताया, बहू के बढ़ते प्रशंसकों को ले कर उस पर तानाकशी करने लगा.

एक रोज रेखा ने अपने चेहरे पर तेल छिड़क कर आग लगा ली और उस का चेहरा झुलस गया. अस्पताल में भरती कराने के कारण उसे जान का खतरा तो नहीं रहा पर उस की सुंदरता सदा के लिए व्यंग्यबाणों के ढेर में दब गई और जीवनभर अब वह एक अभिशाप ढोएगी जबकि पति और ससुर को वह पश्चात्ताप की आग में जलाएगी.

यह अफसोस की बात है कि समाज सुंदर लड़कियों को आसानी से जीने नहीं देता. खूबसूरत औरतें डाह रखती हैं ही, पुरुष उस सुंदरता को हड़पने के लिए रातदिन भौरों की तरह मंडराते रहते हैं. यह समाज की कमजोरी है कि औरत की सुंदरता के गुण को और उस की मिलनसारता का खुला निमंत्रण मान लेता है.

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