यह अफसोस है कि सुप्रीम कोर्ट क्रिकेट पर अपना समय लगा रहा है और उसे कौन चलाएगा, यह तय कर रहा है. क्रिकेट के प्रति भारतीयों का पागलपन चाहे जिस कद्र हो, क्रिकेट से देश को कुछ मिलता नहीं है. यह तो स्वास्थ्य बढ़ाने वाला खेल भी नहीं है.
ऐसे खेल में सट्टेबाजी हो या फिक्ंिसग, क्या फर्क पड़ता है. इस को कौन चलाए, यह क्रिकेट आयोजकों का मामला है क्योंकि यह खेल नहीं तमाशा है. हां, सुप्रीम कोर्ट पूछ सकता है कि क्रिकेट खिलाडि़यों को किस वजह से भारतरत्न, पद्मश्री अवार्ड आदि दिए जाते हैं. अगर इन्हें ये सब देने हैं तो सर्कस कलाकारों को पहले दें जो जान की बाजी लगा कर करतब दिखाते हैं ताकि दर्शक खुश हो सकें.
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