भारत के सिक्किम सैक्टर में घुसपैठ कर के चीन सैनिक दबाव बनाने में लगा है. चीन को लगता है कि उस के वन बैल्ट वन रोड सपने में भारत रोड़ा बन रहा है और इसलिए वह उसे सबक सिखाना चाहता है. तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति होने के कारण भारत से चीन की प्रतिस्पर्धा तो स्वाभाविक है पर वह इस स्पर्धा को जलन व शत्रुता में बदल देगा, यह अंदाजा तब नहीं था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में साबरमती के तट पर चीनी नेता शी जिनपिंग का स्वागत किया था. तब लगा था कि नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग भारत-चीन दोस्ती का नया पाठ लिख रहे हैं.

इन 2 सालों में भारत और चीन संबंधों में कड़वाहट आने में चाइना-पाक इकोनौमिक कौरिडोर की अहम भूमिका है जो पाकिस्तान के अधिकार में कब्जाए कश्मीर में से जाता है. भारत इस पर चीनी कदम नहीं देखना चाहता. चीन ने पाकिस्तान से न केवल अपने आर्थिक संबंध मजबूत कर लिए हैं, वह उसे सुझाव देने का वादा भी कर रहा है. इस कौरिडोर की सुरक्षा के नाम पर चीनी सैनिकों का पाकिस्तान आना शुरू हो गया है. पाकिस्तान में चीनी कालोनियां बननी शुरू हो गई हैं. अब तो पाकिस्तान को चीनी साम्राज्य का हिस्सा भी कहा जाने लगा है. आश्चर्य यह है कि पाकिस्तान को इस तमगे पर एतराज नहीं है. भारत तो इस का अनचाहा शिकार बन रहा है.

भारतीय पक्ष को अभी समझ नहीं आ रहा है कि इस गुत्थी को कैसे सुलझाया जाए. पहले दोनों देशों के राष्ट्रप्रमुख जहां मिलते थे, गर्मजोशी से मिलते थे पर अब एकदूसरे से औपचारिक हाथ मिला भर लेते हैं.

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