मोबाइल के जमाने में नेताओं के लिए अब कुछ भी कहीं भी कह देना खतरे से खाली नहीं. वीडियो बना सकने वाले मोबाइल्स अब हर किसी के पास हैं और लोग अपने चाहने वाले या विरोधी किसी के भी वीडियो आसानी से बना सकते हैं. नतीजा यह है कि इस नई तकनीक के चलते 4 जनों के बीच बैठ कर भी कुछ अटपटा कहने की छूट नहीं रह गई है. तकनीक के चलते आज सभी स्वाभाविक जासूस बन गए हैं और किसी की भी कभी भी जासूसी हो सकती है.
भारतीय जनता पार्टी के अमित शाह ने बदला लेने की जो बातें उत्तर प्रदेश की सभाओं में कहीं वे रिकौर्ड हो गईं. रिकौर्डेड सुबूत के चलते चुनाव आयोग ने उन की रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया. चुनावों में बहुतकुछ कहा जाता है पर चूंकि पहले यह रिकौर्ड नहीं होता था, नेताओं को मन की भड़ास निकालने की छूट थी, अब नहीं. अमित शाह ही नहीं, वरुण गांधी, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, कपिल सिब्बल जैसे नेता भी वीडियो कैमरों या टैलीविजन कैमरों के शिकार बन चुके हैं.
वीडियो तकनीक ने अब प्राइवेसी यानी निजी जीवन को बुरी तरह भेद दिया है. राजनीति में ही नहीं, आम जीवन में भी जगहजगह वीडियो बनने लगे हैं. जहां 4 जने मिले, वीडियो बनना चालू हो जाता है. 
ज्यादातर वीडियो 2-4 दिन में काट दिए जाते हैं पर कुछ पड़े रह जाते हैं. प्रेमियों के बीच बने जीवनभर की यादगार के लिए खींचे गए वीडियो प्रेम का रंग उतरने पर बहुत महंगे पड़ रहे हैं. अंतरंग क्षणों के बनाए गए वीडियो यूट्यूब पर छाए हुए हैं और कितने ही जीवन बरबाद कर रहे हैं.
तकनीक की अपनी जगह है. पर तकनीक को व्यक्तिगत जीवन में इस तरह घुसने की अनुमति देना बहुत खतरनाक है. वैसे ही सुरक्षा के नाम पर सड़कों, होटलों, दफ्तरों, स्कूलों, कालेजों, सभाओं में चल रहे क्लोज सर्किट टैलीविजन आम आदमी को घेरों में डाल रहे हैं जबकि मोबाइलों के वीडियो कैमरे ज्यादा खतरा साबित हो रहे हैं.
हर व्यक्ति को अपने चारों ओर अपनी निजता का घेरा बनाए रखने का हक है. वह अपने अंतरंग क्षणों में अपनों से क्या कह रहा है, उस के सुबूत जमा करना एक मानसिक बोझ बनेगा. यह बहुत से संकट पैदा करेगा. बच्चे तक मातापिताओं की बातें और उन के व्यवहार को रिकौर्ड करने से अब नहीं हिचकिचाते और घर की मोटी दीवारें अब हर तरह से पारदर्शी होने लगी हैं.
ये किस तरह से देशों, समाजों और परिवारों के साथ अकेले व्यक्तियों के जीवन को नष्ट करेंगे, यह साफ दिख रहा है. बढि़या तकनीक वाले मोबाइल एक सुरक्षित समाज में भय का विशाल वृक्ष खड़ा कर रहे हैं.

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