सरकार युवकों को रोजगार देने के अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए कौशल विकास केंद्रों की स्थापना को महत्त्व दे रही है. इस के लिए छात्रों की कमी के कारण खाली पड़े इंजीनियरिंग कालेजों की ढांचागत व्यवस्था का इस्तेमाल कौशल विकास के लिए किया जा रहा है. बजट में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को तरजीह दी गई है.

बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अगले वित्त वर्ष में देश के विभिन्न हिस्सों में 1,500 कौशल विकास केंद्र खोलने का लक्ष्य निर्धारित कर के इस के लिए 1,700 करोड़ रुपए की व्यवस्था करने का प्रस्ताव किया है. इसी योजना के तहत 100 मौडल कैरियर केंद्र स्थापित करने की घोषणा के साथ ही देश के इन सभी रोजगार कार्यालयों को राष्ट्रीय कैरियर सेवा प्लेटफौर्म से संबद्ध करने का भी ऐलान किया गया है. सरकार ने यह कदम राष्ट्रीय कौशल विकास की अपनी घोषणा के अनुरूप 76 लाख युवाओं को प्रशिक्षित कर के उन्हें रोजगार के लिए तैयार करने के लिए उठाया है. इस के लिए उद्योगों तथा अकादमियों के साथ मिल कर राष्ट्रीय कौशल विकास प्रमाणन बोर्ड स्थापित करने की भी घोषणा की गई है. अगले 3 साल में सरकार ने इस योजना के तहत 3 करोड़ और युवकों को प्रशिक्षित करने का ऐलान किया है.

सवाल यह है कि सरकार के पास आईटीआई और पौलिटैक्निक जैसे संस्थान हैं, उन के जरिए युवकों का ज्यादा ट्रेड में प्रशिक्षित क्यों नहीं किया जा रहा है. सरकार आईटीआई के कई ट्रेडों के जरिए बेरोजगारों की फौज खड़ी कर रही है. सिर्फ प्रशिक्षण देने से कुछ नहीं होगा. युवकों को रोजगार देना होगा. प्रशिक्षित युवक घर बैठेंगे तो उन की कुंठा बढ़ेगी.

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