केंद्र सरकार देश में सड़कों का जाल बिछाने तथा मौजूदा सड़कों पर यातायात को आसान बनाने के लिए कई तरह के मौडल्स पर काम कर रही है. इस के लिए ऐक्सप्रैसवे, पूर्वोत्तर सीमांत सड़क योजना तथा हाइब्रिड जैसे मौडल्स पर काम चल रहा है. इन सब का मकसद देश के हर कोने में सड़क का व्यापक और आरामदायक जाल बिछाना है. 

दिल्ली-मेरठ ऐक्सप्रैसवे देश में 14 लेन की पहली सड़क परियोजना है. इस का मकसद जाम की समस्या से छुटकारा पाना है. इस के अलावा, पूर्वोत्तर में सीमांत क्षेत्रों तक सड़क पहुंचाना और उत्तराखंड में भूस्खलन से बाधित सड़कमार्ग विकसित करना सरकार की प्राथमिकता है. सड़कों का निर्माण तेजी से हो, इस के लिए ‘हाइब्रिड मौडल’ को हाल में ही मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है.

सरकार का लक्ष्य प्रतिदिन 30 किलोमीटर सड़क के निर्माण का है और उस के लिए हाइब्रिड जैसे मौडल विकसित किए जा रहे हैं. सड़क निर्माण का काम तेजी से हो, इस के लिए हाइब्रिड योजना के तहत निर्माण कार्य पर 40 प्रतिशत राशि सरकार उपलब्ध कराएगी जबकि शेष राशि डैवलपर को खर्च करनी होगी.

सरकारी-निजी क्षेत्र (पीपीपी) मौडल सड़कों के निर्माण के लिए ठीक तो है लेकिन चूंकि इस में अच्छा मुनाफा है, इसलिए ज्यादा भ्रष्टाचार होने की आशंका भी है. पिछले दिनों सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने जम्मूकश्मीर की एक परियोजना का ठेका अपने एक नजदीकी व्यक्ति की फर्म को दिया है. इस फर्म में उन का बेटा भी हिस्सेदार है.                                                

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