आयकर विभाग ने सूचना तकनीकी के इस दौर में धोखाधड़ी से करदाताओं को बचाने के लिए कई कारगर तरीके इस्तेमाल किए हैं और इस दिशा में लगातार सुधार की प्रक्रिया जारी है. इसी क्रम में एक कदम आगे बढ़ाते हुए विभाग ने आयकर के संदर्भ में आयकर नहीं देने वाले व्यक्ति तथा कंपनी को भेजे जाने वाले नोटिस में संबद्ध अधिकारी के कार्यालय का फोन नंबर और उस का ईमेल पता लिखना अनिवार्य कर दिया है. नोटिस भेजने वाले अधिकारी के लिए हर बार के पत्राचार में फोन और अपना ईमेल का पता लिखना जरूरी होगा. इस से पत्राचार की प्रामाणिकता बढ़ने के साथ ही धोखाधड़ी से भी बचा जा सकता है.

वित्त मंत्रालय में इस आशय का आदेश पारित कर दिया है और उसे राजस्व महानिदेशालय के सचिव को भेज दिया गया है. आयकर विभाग में अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा धोखाधड़ी किए जाने और करदाता को परेशान करने के कई मामले सामने आए हैं. सामान्य आदमी उन के झांसे में आ जाता है. कई बार फर्जी नोटिस भेज कर व्यापारियों से पैसा ऐंठने के मामले भी सामने आते हैं. इस व्यवस्था से नोटिस की प्रामाणिकता के साथ ही करदाता को फर्जी लोगों के चंगुल से बचाया जा सकेगा.

फर्जी लोग करदाता को डरातेधमकाते हैं और कई बार पैसा ले कर करदाता को छूट देने का आश्वासन देते हैं. बेचारा करदाता आसानी से उन के चंगुल में फंस जाता है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस तरह का नोटिस पा कर करदाता फर्जी लोगों के जाल में नहीं फंसेगा और पारदर्शी तरीके से आयकर विभाग को एक कदम आगे बढ़ कर काम करने का अवसर मिलेगा.

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