भारत के खुदरा बाजार में कारोबार करना आसान और वहां लाभ की गुंजाइश भी भरपूर है. यह विश्वास खुदरा निवेश में आने वाले विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार पर है. उन के इसी विश्वास के कारण 2013 से 2015 के बीच खुदरा बाजार में विदेशी निवेश का प्रवाह 8.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. विदेशी निवेशकों का यह भरोसा आधारहीन नहीं है. इस के मजबूत आधार की पुष्टि वैश्विक खुदरा विकास सूचकांक यानी जीआरडीआई की कंसल्टैंसी फर्म एटी केरनी की रिपोर्ट भी करती है. रिपोर्ट के अनुसार, 30 विकासशील देशों की सूची में भारत में खुदरा कारोबार में एफडीआई तेजी से हो रहा है जिस के कारण सूची में भारत 13 स्थानों के सुधार के साथ इस साल दूसरे स्थान पर पहुंचा है. भारतीय खुदरा बाजार का कारोबार 67 लाख करोड़ रुपए का है और विदेशी कंपनियां इस में ज्यादा रुचि ले रही हैं.

विशेषज्ञ मानते हैं कि ई-कौमर्स का दौर बढ़ रहा है और इस में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस स्थिति को देखते हुए भारत का खुदरा बाजार कारोबार दूसरे देश के खुदरा बाजार कारोबार के लिए चुनौती बना रहेगा. वहां का निवेशक लाभार्जन के वास्ते खुद ही भारतीय बाजार का रुख करेगा जिस का सीधा असर विकासशील देशों के खुदरा कारोबार के सूचकांक पर रहेगा. स्थिति यदि इसी तरह से भारत के पक्ष में रही तो आने वाले समय में इस सूचकांक में भारत लंबे समय तक शीर्ष पर बना रहेगा. 

 

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