सरकार विश्व बाजार में अपनी दवाओं के कारोबार को हलका नहीं पड़ने देगी और इस के लिए देशी कंपनियों पर सख्ती बरती जाएगी. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि गुणवत्ता में किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा. कंपनियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे गुणवत्ता में किसी भी तरह से कमी न करें. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ के कुछ सदस्य देशों ने भारतीय दवाओं की जांच किए जाने की मांग की थी लेकिन भारत ने इस से इनकार कर दिया. उस ने साफ कह दिया कि भारत में ही दवाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा रहा है.

विश्व औषधि बाजार में भारतीय दवाओं की हिस्सेदारी 75 से 80 फीसदी के बीच है. पूरी दुनिया भारतीय दवाओं पर भरोसा कर रही है, इसलिए उस भरोसे को अब कमजोर नहीं होने देना है. सरकार इसी सूत्र पर काम कर रही है.

औषधि नियंत्रक महानिदेशालय ने इस पर अपनी रणनीति बनाने के लिए राज्यों के औषधि नियंत्रक महानिदेशकों के साथ विचार करने की योजना बनाई है. इस बारे में जल्द ही विमर्श किया जाएगा. सरकार को विदेशी मुद्रा कमाने के लिए दवा की गुणवत्ता को तो बरकरार रखना ही है, लेकिन उसे देश की उस आबादी का भी ध्यान रखना है जिन को नकली दवाएं दे कर दवा कंपनियां गाढ़ी कमाई कर रही हैं.

देश का दवा बाजार नकली दवाओं से भरा पड़ा है और गलीमहल्लों तथा प्रदेशों के बड़े शहरों में नकली दवाएं धड़ल्ले से बिक रही हैं. इन दवाओं पर भी नियंत्रण करने की जरूरत है ताकि देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को बेहतर रखा जा सके.

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