सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2 साल पहले सेबी ने अपने निदेशक मंडल में महिला निदेशकों की नियुक्ति करने को कहा था. बैंकों ने इस आदेश को हलके से लिया. लेकिन जब सेबी ने अक्तूबर 2014 तक इस आदेश के पालन का समय दिया तो बैंक वहां भी फिसड्डी साबित हुए. सेबी ने इस पर सख्ती दिखाई तो बैंकों ने मार्च 2015 तक का समय मांगा. लेकिन ज्यादातर बैंकों ने इस अवधि में भी आदेश का पालन नहीं किया. सेबी इस के बाद शांत नजर आया. शायद उसे दलील दी गई कि उस ने बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई में सभी पंजीकृत 5,451 कंपनियों से भी महिला निदेशक नियुक्त करने को कहा था, लेकिन इस वर्ष मार्च तक 1,375 कंपनियां ही इस आदेश का पालन करने में असफल रही हैं. बैंकों को सार्वजनिक तौर पर भले ही सेबी ने कुछ नहीं कहा है लेकिन ऐसा लगता है कि बैंकों पर उस का जबरदस्त दबाव था. इसीलिए पिछले 6 महीनों के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक औफ बड़ौदा, यूको बैंक, इंडियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, बैंक औफ महाराष्ट्र, ओरिएंटल बैंक, सिंडिकेट बैंक तथा बैंक औफ इंडिया ने महिला निदेशकों की नियुक्ति की है. इस तरह से अब तक सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंकों ने महिला निदेशक नियुक्त कर दिए हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के सब से बड़े स्टेट बैंक औफ इंडिया की अध्यक्ष अरुणधति भट्टाचार्य बैंक के निदेशक मंडल के साथ ही इसी बैंक के 3 सहायक बैंकों की निदेशक मंडल की सदस्य भी हैं. सरकारी बैंकों ने देर में सही लेकिन अच्छा कदम उठाया है और यह देर से सही, लेकिन दुरुस्त कदम है.

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