पुलिस वालों का एक से बढ़ कर एक अपराधियों से पाला पड़ता रहता है, लेकिन उस दिन जौनपुर पुलिस का एक ऐसे शातिर नटरवरलाल (ठग) से पाला पड़ गया, जिस ने कुछ ही पलों में एक पुलिस वाले को अपने झांसे में ले कर न केवल उस की जेब ढीली करा ली, बल्कि 10 दिनों तक खूब छकाया भी.

उस शातिर ठग द्वारा ठगे जाने के बाद जौनपुर पुलिस का ऐसा हाल हो गया था कि उसे घटना के बारे में बताने में भी संकोच हो रहा था. लेकिन जौनपुर के एसपी की सक्रियता और सूझबूझ से पुलिस ने ऐसा जाल बिछाया कि ठग खुद ही उस जाल में आ फंसा.

आज पुलिस की जो छवि है, उस के हिसाब से पुलिस के साथ ठगी वगैरह हो जाती है तो किसी को उस से सहानुभूति नहीं होती. जौनपुर की यह घटना ऐसी ही है, जिस में पुलिस ठगी का शिकार हो गई थी. दरअसल 2 जुलाई, 2016 को जौनपुर के एसपी के सरकारी मोबाइल फोन की घंटी बजी तो फोन वहां मौजूद स्वाट प्रभारी क्राइम ब्रांच सबइंसपेक्टर शशिचंद्र चौधरी ने उठाया.

उन्होंने अपना परिचय देते हुए फोन करने वाले से फोन करने की वजह पूछी तो दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘जी मैं मुखबिर मोहम्मद आलम बोल रहा हूं. मैं आप को अपराध से जुड़ी एक घटना के बारे में बता कर एक बड़ी उपलब्धि दिला सकता हूं. आप हमें कुछ देर बाद फोन कीजिए. तब मैं आप को उस घटना के बारे में सूचना दूंगा.’’

यह कह कर फोन काट दिया गया. फोन कटते ही शशिचंद चौधरी सोच में पड़ गए. लेकिन उपलब्धि मिलने की बात थी, इसलिए उन के मन में जिज्ञासा जाग उठी थी. फोन करने वाले मोहम्मद आलम ने खुद को मुखबिर बताया था, इसलिए न चाहते हुए भी उन्हें उस की बात पर भरोसा करना पड़ा.

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