पहले दोस्ती फिर प्यार और बाद में बेवफाई फिर इंतकाम. आकाश और रोशनी के बीच भी ऐसा ही हुआ. भले ही यह प्रकरण नया न हो पर गंभीर जरूर है. यदि समय रहते अभिभावकों और शिक्षा प्रशासन ने इस समस्या का हल न ढूंढ़ा तो इसी तरह बच्चे जिंदगी बनानेसंवारने की उम्र में एकदूसरे की जिंदगी लेते रहेंगे. पढि़ए उग्रसेन मिश्रा का लेख.

साधारण परिवार का 23 वर्षीय आकाश बिहार के गया जिले के मदाड़पुर गांव से एक सपना लिए दिल्ली आया था. उस के मातापिता ने भी उसे बड़े अरमानों के साथ इस उम्मीद में दिल्ली भेजा था कि बेटा पढ़लिख कर अफसर बनेगा. लेकिन मांबाप की उम्मीद धरी की धरी रह गई. उन के सपने टूट गए और आकाश ने उन्हें जिंदगीभर को तड़पने के लिए छोड़ दिया.

नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आकाश सैंटर फोर कोरियन लैंग्वेज ऐंड कल्चर स्टडीज से कोरियाई भाषा सीख रहा था. उस का दूसरा साल पूरा हो चुका था. आकाश की दोस्ती 22 वर्षीय रोशनी कुमारी गुप्ता से हो गई. रोशनी बिहार के ही मुजफ्फरपुर शहर के शंकर नगर इलाके की रहने वाली है जो कैंपस के ही एक छात्रावास में रहती है. पढ़नेलिखने में आकाश अच्छा था और रोशनी साधारण थी. इसलिए आकाश उस की काफी मदद करता था. धीरेधीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई. प्यार के चक्कर में आकाश का रिजल्ट खराब होता चला गया और वह तीसरे साल में नहीं पहुंच सका जबकि रोशनी तीसरे साल में पहुंच गई. इस बीच आकाश परेशान रहने लगा. उस के दोस्तों को लगा कि शायद रिजल्ट खराब होने के कारण वह परेशान रहता है. लेकिन आकाश के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था. दरअसल, वह प्यार में चोट खाया हुआ था.

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