मध्य प्रदेश में हुए प्री मैडिकल टैस्ट फर्जीवाड़े के परदाफाश से जहां व्यापमं के अधिकारियों और संलिप्त गिरोहों का गठजोड़ सामने आया है वहीं इस ने चिकित्सा जगत में आने वाले छात्रों को सचेत भी कर दिया है. एसटीएफ की जांच से इस घोटाले की पूरी कहानी जानने के लिए पढि़ए भारत भूषण श्रीवास्तव की रिपोर्ट.

मध्य प्रदेश के चर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं घोटाले में जुलाई महीने से औसतन हर हफ्ते 1 गिरफ्तारी हो रही है और रोज एक नया सनसनीखेज खुलासा हो रहा है. इस फर्जीवाड़े में अब तक 30 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं और उन पर ही स्पैशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ शिकंजा कसने जा रही है.

डा. संजीव सागर, सुधीर राय, संतोष गुप्ता, तरंग शर्मा, पंकज त्रिवेदी, नितिन महिंद्रा और संजीव शिल्पकार ये आदमियों के ही नहीं बल्कि गिरोहों के नाम हैं जो बडे़ पैमाने पर प्री मैडिकल टैस्ट यानी पीएमटी में फर्जीवाड़े को बेहद तकनीकी ढंग से अंजाम दे रहे थे. उन्होंने कितने करोड़ रुपया कमाया, इस का हिसाबकिताब लगाने में जांच एजेंसियों के पसीने छूट रहे हैं. ये सभी जेल में बंद हैं.

पीएमटी की परीक्षा बेहद कठिन मानी जाती है. डाक्टर बनने का सपना लिए लाखों छात्र 12वीं के बाद इस में बड़ी उम्मीदें ले कर शामिल होते हैं. मैडिकल की एक सीट के मुकाबले औसतन 100 छात्रों के बीच योग्यता की कड़ी प्रतिस्पर्धा में जो उत्तीर्ण होता है उसे गैरमामूली बेवजह नहीं कहा जाता. इस परीक्षा को सफलता और निष्पक्षतापूर्वक संपन्न कराने की जिम्मेदारी व्यापमं की है. इस के अलावा यह एजेंसी दूसरी कई प्रवेश और चयन परीक्षाएं भी आयोजित करती है जो सीधेसीधे उम्मीदवार को व्यावसायिक डिगरी और सरकारी नौकरी दिलाती है. व्यापमं की एक खूबी, जो अब खामी साबित हो रही है, यह है कि इस में तमाम अधिकारी दूसरे विभागों से प्रतिनियुक्ति पर लिए जाते हैं. ऐसा क्यों है, इस का सटीक जवाब किसी के पास नहीं, सिवा इस के कि यह तो शुरू से होता रहा है.

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