पिछले साल सन 2016 के सितंबर महीने में अलीगढ़ का एसएसपी राजेश पांडेय को बनाया गया तो चार्ज लेते ही उन्होंने पुलिस अधिकारियों की एक मीटिंग बुला कर सभी थानाप्रभारियों को आदेश दिया कि जितनी भी जांचें अधूरी पड़ी हैं, उन की फाइलें उन के सामने पेश करें. जब सारी फाइलें उन के सामने आईं तो उन में एक फाइल थाना गांधीपार्क में दर्ज प्रीति अपहरण कांड की थी, जिस की जांच अब तक 10 थानाप्रभारी कर चुके थे और यह मामला 12 दिसंबर, 2013 में दर्ज हुआ था.

राजेश पांडेय को यह मामला कुछ रहस्यमय लगा. उन्होंने इस मामले की जांच सीओ अमित कुमार को सौंपते हुए जल्द से जल्द खुलासा करने को कहा. अमित कुमार ने फाइल देखी तो उन्हें काफी आश्चर्य हुआ. क्योंकि इतने थानाप्रभारियों ने मामले की जांच की थी, इस के बावजूद मामले का खुलासा नहीं हो सका था. उन्होंने थानाप्रभारी दिनेश कुमार दुबे को कुछ निर्देश दे कर फाइल सौंप दी.

मामला काफी पुराना और रहस्यमयी था, इसलिए इसे एक चुनौती के रूप में लेते हुए दिनेश कुमार दुबे ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए अपनी एक टीम बनाई, जिस में एसएसआई अजीत सिंह, एसआई धर्मवीर सिंह, कांस्टेबल सत्यपाल सिंह, मोहरपाल सिंह और नितिन कुमार को शामिल किया.

फाइल का गंभीरता से अध्ययन करने के बाद उन्होंने मामले की जांच फरीदाबाद से शुरू की, क्योंकि प्रीति को भगाने का जिस युवक जयकुमार पर आरोप था, वह फरीदाबाद का ही रहने वाला था. दिनेश कुमार दुबे फरीदाबाद जा कर उस की मां संध्या से मिले तो उस ने बताया कि जयकुमार उस का एकलौता बेटा था. उस पर जो आरोप लगे हैं, वे झूठे हैं. उस का बेटा ऐसा कतई नहीं कर सकता. उस ने उस की गुमशुदगी भी दर्ज करा रखी थी.

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