देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा शहर में कारखानों और बड़ीबड़ी कंपनियों के तमाम औफिस हैं, जिन में काम करने के लिए देश के अलगअलग राज्यों से आए लोग यहां रह रहे हैं. रहने  वालों की संख्या बढ़ती गई तो फ्लैट कल्चर कायम हुआ. जिन में रहने वाले लोग एकदूसरे से ज्यादा मतलब नहीं रखते.  इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि लोग निजी जिंदगी में किसी की दखलंदाजी पसंद नहीं करते. ऐसे में किस फ्लैट में कौन रहता है और कौन क्या करता है, पड़ोसियों तक को पता नहीं होता. नोएडा शहर के ही सैक्टर-120 स्थित जोडिएक अपार्टमेंट सोसाइटी भी इस आधुनिक हकीकत से अलग नहीं थी. 17 दिसंबर, 2016 की सुबह पुलिस की 2 गाडि़यां सोसाइटी में आ कर रुकीं. पुलिस ने गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों से कुछ पूछताछ की और फिर एक सुरक्षाकर्मी को साथ ले कर सीधे 11वीं मंजिल पर बने फ्लैट नंबर-1104 के सामने जा पहुंची.

पुलिस के इशारे पर सुरक्षाकर्मी ने दरवाजे के ठीक बराबर में लगी डोरबैल बजाई तो अंदर से किसी लड़की की आवाज आई, ‘‘कौन है?’’

सुरक्षाकर्मी ने जवाब में कहा, ‘‘दरवाजा खोलिए मैम, मैं गार्ड हूं.’’

‘‘क्या बात है?’’

‘‘आप से कोई मिलने आया है.’’ गार्ड ने कहा.

कुछ पलों की खामोशी के बाद एक लड़की ने दरवाजा खोला तो दरवाजे पर पुलिस वालों को देख कर उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. वह कुछ समझ पाती, उस के पहले ही एक पुलिसकर्मी ने पूछा, ‘‘मेघा कहां है?’’

पुलिस वाले के इस सवाल पर वह चौंकी, लेकिन तुरंत ही संभलने की कोशिश करते हुए जवाब देने के बजाए सवाल दाग दिया, ‘‘एक्सक्यूजमी सर, कौन मेघा? मैं समझी नहीं. आप शायद गलत जगह आ गए हैं. यहां कोई मेघा नहीं रहती.’’

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