उस दिन छोटी दीपावली थी और तारीख थी 29 अक्तूबर, 2016. दोपहर साढ़े 3 और 4 बजे के बीच राजस्थान पुलिस के हैडकांस्टेबल सुभाषचंद्र मीणा ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के बताया, ‘‘अलवर के जिला अस्पताल से 2 कैदी कुलदीप यादव उर्फ डाक्टर और कृष्ण गुर्जर उर्फ लादेन पुलिस हिरासत से भाग गए हैं. दोनों ही कैदी हरियाणा और राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर हैं.’’ कैदियों के भागने की यह घटना काफी गंभीर थी, इसलिए कंट्रोल रूम से वायरलैस द्वारा दोनों कैदियों के भागने की सूचना पूरे जिले में प्रसारित कर दी गई. दोनों कैदियों के अलवर से भाग कर हरियाणा जाने की आशंका थी. इसलिए हरियाणा के पुलिस अधिकारियों को भी इस घटना की सूचना दे दी गई.

इसी के साथ पूरे जिले में ए-श्रेणी की नाकेबंदी कर दी गई. खासतौर से अलवर से हरियाणा की तरफ वाले रास्तों पर प्रत्येक वाहन की जांच शुरू कर दी गई. अलवर से हरियाणा की ओर जाने के लिए मुख्यरूप से 2 सड़क मार्ग हैं, एक अलवर से रामगढ़-फिरोजपुर झिरका, मेवात, गुड़गांव वाली रोड और दूसरी अलवर से किशनगढ़बास, तिजारा-भिवाड़ी, धारूहेड़ा, गुड़गांव की रोड. इसे अलवर-भिवाड़ी हाईवे भी कहते हैं.

सूचना मिलते ही एडिशनल एसपी, डीएसपी के अलावा कोतवाली प्रभारी भी जिला अस्पताल पहुंच गए. अस्पताल में हैडकांस्टेबल सुभाषचंद मीणा, कांस्टेबल ओमप्रकाश वर्मा और कृष्णकांत जाटव मिले. तीनों ने बताया कि वे चालानी गार्ड हैं और किशनगढ़बास उपकारागृह से दोनों कैदियों को वहां ले कर आए थे.

उन के बताए अनुसार, कैदी कुलदीप यादव के कंधे में चोट लगी थी और कृष्ण गुर्जर की दाढ़ में दर्द था. इसलिए उन्होंने दोनों को अस्पताल में अलगअलग डाक्टरों को दिखाया था. इस बीच उन की हथकड़ी खोल दी गई थी.

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