5 फरवरी, 2016 को बिहार में फतुहा के कच्ची दरगाह इलाके में सैंट्रल बैंक औफ इंडिया के पास अपराधियों ने एके-47 राइफल से ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर लोक जनशक्ति पार्टी के नेता और मुखिया रह चुके 60 साला बृजनाथी सिंह को मौत की नींद सुला दिया. इस हत्याकांड में बृजनाथी सिंह की बीवी वीरा देवी और भतीजा रोशन कुमार बालबाल बच गए. वीरा देवी ने अपने कोट की जेब में मोबाइल फोन का पावर बैंक रखा हुआ था, जिस से गोली उन के सीने में नहीं लग सकी. अपराधियों के भागने के बाद ड्राइवर गाड़ी को पटना के अगमकुआं इलाके के चिरायू अस्पताल तक ले गया, पर तब तक बृजनाथी सिंह की मौत हो चुकी थी.

बृजनाथी सिंह मूल रूप से राघोपुर के फतेहपुर इलाके के रहने वाले थे और वहां से अपने अगमकुआं वाले घर की ओर जा रहे थे. वे गाड़ी के आगे वाली सीट पर बैठे थे और औरतें व बच्चे पीछे की सीट पर बैठे थे. जैसे ही गाड़ी पीला पुल को पार कर कच्ची दरगाह इलाके में सैंट्रल बैंक के पास पहुंची, तो अपराधी बैंक की इमारत से बाहर निकले और गाड़ी पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाने लगे. हत्या के इस मामले में बृजनाथी सिंह के बेटे राकेश के बयान के आधार पर राघोपुर के ही मुन्ना सिंह, सुनील राय, भोला सिंह, सुबोध राय, ललन सिंह समेत 7 लोगों के खिलाफ फतुहा थाने में एफआईआर दर्ज की गई.

बृजनाथी सिंह का भी पुराना आपराधिक रिकौर्ड रहा है. 90 के दशक में वे बिहार पुलिस में सिपाही की नौकरी करते थे. जब वे सुपौल में तैनात थे, तो एक दिन अफसर से छुट्टी मांगने गए, पर अफसर ने उन्हें छुट्टी नहीं दी. इस से बृजनाथी सिंह का पारा गरम हो गया और उन्होंने अफसर पर गोलियां चला दी थीं. इस के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. कुछ साल बाद राघोपुर के एक जमीन के झगड़े में हुई रामजी सिंह की हत्या के मामले में भी उन पर आरोप लगा था. बृजनाथी सिंह के नौकरी छोड़ने के बाद उन पर रंगदारी के कई मामले दर्ज हुए. इस के बाद वे?ठेकेदारी का काम करने लगे और कुछ समय में ही?ठेकेदारी के काम में पूरे वैशाली जिले में उन का डंका बजने लगा. ठेकेदारी के काम में भी वे कई विवादों में फंसे और राघोपुर से वैशाली तक उन का खौफ था.

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