जब आम आदमी की हिफाजत में लगी पुलिस ही लुटेरी बन जाए, तो क्या कहा जाए? पटना में पुलिस वालों के लुटेरा बनने से आम आदमी जहां सकते में हैं, वही सरकार की एक बार फिर भद्द पिट रही है. बिहार पुलिस के 5 सिपाहियों ने मिल कर एक युवक से 40 हजार रूपए लूट लिए. गनीतम यह रही कि सारे सिपाही सिविल ड्रेस में थे. पटना के कदमकुंआ थाने में तैनात पांचों सिपाहियों ने लोहानीपुर मुहल्ले में एक युवक को पकड़ा और उस पर जुआ खेलने का आरोप लगा कर और पिस्तौल का भय दिखा कर राजेंद्र नगर पुल के नीचे बने पुलिस चौकी में ले गए.

सिपाहियों ने युवक के बैग की तलाशी लेने के बहाने बैग में रखे सारे सामान को बाहर निकाल कर सड़क पर बिखेर दिया. बैग में रखे 40 हजार रूपए भी बाहर गिर पड़े, जिसे देख सिपाहियों की आंखें चमक उठी. पांचों सिपाहियों में से एक ने युवक के 40 हजार रूपए अपने पौकेट में रख लिये और उसे धमका कर भगा दिया. संतोष गिड़गिड़ाता रहा कि वह अपनी बहन के घर जरूरी काम से रूपये पहुंचाने जा रहा है, इसलिए उसके रूपये लौटा दिया जाए. उसके रोने-बिलखने से भी सिपाहियों को मन नहीं पसीजा. सिपाहियों ने उसे धमकाते हुए कहा कि अगर वह नहीं भागेगा, तो जुआ खेलने के आरोप में जेल में बंद करवा देंगे.

युवक ने इस मामले में कदमकुंआ थाना में एफआईआर दर्ज कराई और मामले की जांच की गई तो पता चला कि सिपाही ही लुटेरे बन गए थे. पिछले 12 जून को लोहानीपुर मुहल्ले में रहने वाला युवक संतोष कुमार अपनी बहन के घर जहानाबाद जाने के लिए घर से निकला था. वह अपनी बहन के यहां रूपये पहुंचाने जा रहा था. घर से निकलने के कुछ देर बाद ही 5 लोगों ने उसे पीछे से दबोच लिया. उन्होंने कहा कि वे बिहार पुलिस के सिपाही हैं और उसकी बैग की तलाशी लेना चाहते हैं. सारे लोग उसे पकड़ कर राजेंद्र नगर ओवरब्रिज के नीचे ले गए और उसे मारपीट कर रूपए छीन लिया. इस लूट के मामले में पांचों सिपाहियों के खिलाफ धारा 341, 342, 323 और 386 के तहत मामला दर्ज किया गया.

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