कुंजवाटिका में 2015 की पहली जनवरी की रात में न्यू ईयर की पार्टी चल रही थी. राजपूत घराने के कई बाहुबली जम कर शराब पी रहे थे. डीजे चल रहा था. राजपूतों के यहां जब कोई जश्न या खुशी का मौका होता है तो वे रिवौल्वर से हवाई फायर कर के अपनी खुशी का इजहार करते हैं. उस रात भी दारू के नशे में चूर हो कर एक रसूखदार बाहुबली ने अपनी बंदूक से हवाई फायर किया तो गोली ऊपर न जा कर सामने बिल्ंिडग के एक फ्लोर के फ्लैट की बालकनी में खड़े 5 वर्षीय बच्चे, जो और्केस्ट्रा की धूमधड़ाक व लाइटिंग देखने के लिए खड़ा हुआ था, के माथे में घुस गई. आननफानन उसे नर्सिंगहोम ले जाया गया. मासूम बच्चे की सर्जरी कर के गोली तो निकाल दी गई पर दूसरे दिन दोपहर को उस मासूम ने दम तोड़ दिया. बच्चे की मां तो जैसे पत्थर की हो गई. उसे तो विश्वास भी नहीं हो रहा कि उस का बच्चा दुनिया में नहीं रहा. एक दकियानूसी परंपरा को पूरा करने के चलते बेवजह मासूम की बलि चढ़ गई. 

अंजु सिंगड़ोदिया, हावड़ा (प.बं.)

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मेरी पड़ोसिन बहुत अंधविश्वासी व छुआछूत को मानने वाली महिला है. उस की एक आदत थी कि वह घर से कूड़ा ले जाने वाले स्वीपर को कूड़ा दूर से ही फेंक कर देती थी. इस से आधा कूड़ा नीचे ही गिर जाता था, जिसे वह दोबारा साफ करती थी. मुझे यह बिलकुल अच्छा नहीं लगता था. एक दिन उस के बाथरूम में कचरा फंस जाने से पानी की निकासी बंद हो गई थी. पूरे घर में गंदा बदबूदार पानी फैल गया था. घर के लोगों ने साफ करने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन कुछ न हुआ. आखिरकार स्वीपर को ही घर में बुला कर सफाई करवानी पड़ी. स्वीपर के जाते ही उस ने पूरे घर को धो कर साफ किया, गंगाजल छिड़क कर घर को शुद्ध किया. यह देख मुझ से रहा नहीं गया और मैं बोल पड़ी, ‘‘भाभीजी, जरा सोचिए, आज अगर ये नहीं होते तो हमारे आसपास कितनी गंदगी फैल जाती. इन्हें अछूत कह कर इन का अपमान नहीं करना चाहिए. इन के काम का भी उतना ही महत्त्व है जितना कि किसी और के. हमें तो इन का एहसान मानना चाहिए कि इन की वजह से हम साफसुथरे माहौल में सांस ले पा रहे हैं.’’ पता नहीं उसे मेरी बात अच्छी लगी या नहीं, लेकिन उस दिन के बाद उस ने कूड़ा फेंक कर देना बंद कर दिया. 

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