रीताब्रता बनर्जी सीपीएम के राज्यसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता थे, पर अब नहीं हैं. उन्हें पार्टी ने 3 महीने के लिए सस्पैंड कर दिया है. उन का जुर्म सिर्फ विलासिता और रईसी से रहना है जो पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाता.

अब भला यह भी कोई बात हुई कि सीपीएम भी कट्टरवादियों की तरह पेश आते अपने कथित संविधान और सिद्धांतों पर अड़ी रहे और खुद कट्टरवादियों की खुल कर आलोचना करे. हर किसी को हक है कि वह अच्छा खाएपीए और विलासिता से रहे. सीपीएम में यह अधिकार या सुविधा नहीं है, इसलिए उस का हश्र भी सामने है कि वह धीरेधीरे लुप्त होती जा रही है. यों रईसी से तो पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी भी रहते हैं पर उन की सादगी, सादगी है और रीताब्रता की सादगी रईसी है. साफ दिख रहा है कि कट्टरवाद में भेदभाव यहां भी है.

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