दलितों की चिंता में कई लोग और दल इतना दुबला चुके हैं कि अब तो उन का दिखना ही बंद हो गया है. लेकिन दलित चिंतक चंद्रभान प्रसाद पहले शख्स हैं जो दलितों की चिंता में, आर्थिक रूप से ही सही, बेतहाशा मुटा रहे हैं. चंद्रभान की गिनती इनेगिने दलित करोड़पतियों में होती है जो दलितों के नाम पर आएदिन नएनए प्रयोग करते रहते हैं.

दलित, दलित का बनाया ही कपड़ा पहने, इस बाबत चंद्रभान ने औनलाइन दलित शर्ट्स पेश की हैं, जिन की कीमतें 400 रुपए से 1,600 रुपए तक होंगी. तमाम बातों से दूर दलित ब्रैंड शर्ट का सच यह है कि चंद्रभान जैसे लोगों को भी पंडेपुजारियों की तरह दलितों की नहीं, बल्कि पैसे वाले दलितों की जेब की चिंता ज्यादा है जो आज बाजार के बड़े ग्राहक हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि नीली और सफेद शर्टधारी दलितों को अब घोषित तौर पर भेदभाव से छुटकारा मिल जाएगा. ये वही चंद्रभान हैं जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही दलित फूड लौंच किया था.

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