मैं रिटायर्ड अधिकारी हूं. 12 वर्ष पूर्व मैं ने अपनी बेटी का विवाह एक मध्यवर्गीय परिवार में किया था. विवाह के 2 वर्ष बाद ही पता चला कि ससुराल वाले लालची प्रवृत्ति के हैं. वे मुझ से पैसे मांगने के लिए बेटी पर दबाव डालते हैं, उसे प्रताडि़त करते हैं. बेटी के मना करने पर एक बार तो वे उसे मेरे घर ही छोड़ गए. बेटी उन के खिलाफ कोई सामाजिक या कानूनी कार्यवाही नहीं करना चाहती. वह मुझे भी उन से किसी भी तरह की बात करने से मना करती है. वह कहती है, ‘‘मेरा घर टूट जाएगा. मैं अपने 5 व 10 वर्ष के बच्चों को ले कर अकेले समाज में नहीं रह पाऊंगी.’’ इसी कारण मैं भी मजबूर हूं और उन के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा पा रहा. अभी बेटी ससुराल में ही है. बेटी व दामाद दोनों उच्च शिक्षित हैं व नौकरी करते हैं. बेटी पर उन की प्रताड़ना अभी भी जारी है. इन सब की गहराई में हमें बेटी के सासससुर ही दोषी नजर आते हैं जो दामाद को गलत व्यवहार के लिए उकसाते रहते हैं. कृपया सुझाव दें कि मैं क्या करूं जिस से बेटी का घर भी न टूटे व दामाद को अपने किए पर पछतावा भी हो.

आप की बेटी उच्च शिक्षित है, नौकरीपेशा है फिर भी न जाने क्यों उन की प्रताड़ना सह रही है. साथ ही, वह यह भी नहीं चाहती कि आप इस मामले में कोई कदम उठाएं. फिर भला समस्या का समाधान कैसे होगा. फिर भी सब से पहले आप अपनी बेटी का आत्मविश्वास बढ़ाएं व उसे समझाएं कि बात करने से बात बनेगी. आप कह रहे हैं कि बेटी के सासससुर आप के दामाद को भड़काते हैं, बेटी को प्रताडि़त करने के लिए प्रेरित करते हैं तो आप दामाद से अकेले में शांतिपूर्वक बात करें. उन्हें बच्चों के प्रति उन की जिम्मेदारी का एहसास कराएं. महिला सुरक्षा कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए ही बने हैं, यह बात बेटी को समझाएं. अगर दामाद समझाने से समझ जाते हैं तो कानून का सहारा लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी और आप की बेटी का घर भी बसा रहेगा.

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