पति, पत्नी और पौलिटिक्स

संगरूर से आम आदमी पार्टी के सांसद और हास्य अभिनेता भगवंत मान अभी भी हंसाने की अपनी आदत नहीं छोड़ पा रहे हैं. बीती 21 मार्च को वे अपनी पत्नी इंद्रप्रीत कौर के साथ एक ही कार में बैठ मोहाली जिला अदालत पहुंचे और परस्पर सहमति से तलाक की अर्जी दे डाली. विवाद दिलचस्प है, इसे इंद्रप्रीत का आरोप कहा जाए या पति की तारीफ कि वे राजनीति में इतने मशगूल हो गए हैं कि पत्नी व बच्चों को वक्त नहीं दे पा रहे. भगवंत की दलील यह है कि जनता ने पूरे विश्वास से उन्हें चुना है जिसे वे तोड़ना नहीं चाहते और जैसा कि पत्नी दबाव बना रही हैं कि कैलिफोर्निया चल कर रहो, यह उन के लिए मुमकिन नहीं. हालफिलहाल अदालत ने इन दोनों को 6 महीने का वक्त सोचने को दिया है जिस दौरान वे बीच का रास्ता निकाल लें तो ठीक, वरना जनता या इंद्रप्रीत में से किसी एक का विश्वास टूटना तय है. वैसे ये लोग चाहें तो अरविंद केजरीवाल से प्रेरणा ले सकते हैं कि कैसे वे व्यस्तता के बावजूद पत्नी व बच्चों के लिए वक्त निकालते हैं और कैसे सुनीता पति केजरीवाल की ‘पौलिटिक्स’ मैनेज करती हैं.

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न चिट्ठी न संदेश...

संयुक्त परिवारों के लड़कों को जब अपनी बात मनवानी होती थी तो वे बगैर बताए घर से भाग जाते थे एकाध दिन में ही घर वालों की अक्ल ठिकाने आ जाती थी और वे इश्तिहार देते, बेटा, लौट आओ, तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा. तुम्हारे चले जाने से तुम्हारी मां बीमार हो गई हैं. बेटा, आने से इनकार न कर दे, इसलिए इश्तिहार में कुछ इनाम की भी घोषणा कर दी जाती थी. ऐसा ही विरोध राहुल गांधी ने नए तरीके से किया. वे विदेश में कहीं चले गए लेकिन कांग्रेस में कोई खास भूचाल नहीं आया, कोई दुखी नहीं हुआ. बयानबाजी जरूर हुई. सोनिया गांधी भी अब उन के मन की बात सुनने को तैयार नहीं क्योंकि उन्हें समझ आ गया है कि पप्पू अब कुछ नहीं कर पाएगा, इसलिए खुद ही मैदान में आ गई हैं. 

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