हराभरा अंधविश्वास

बीती 23 मई को चेन्नई में बेहद उमस भरी गरमी थी लेकिन मद्रास विश्वविद्यालय का शताब्दी सभागार चारों तरफ से हरियाली से नहाया दिख रहा था. इस दिन जयललिता ने 5वीं बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. शपथग्रहण से ताल्लुक रखता एक विवाद उजागर हुआ कि पंडित के बताए शुभमुहूर्त में शपथ लेने के लिए राष्ट्रगान बीच में रोक दिया गया. लेकिन जयललिता के अंधविश्वासों की यह इंतहा थी कि उन्होंने शपथ लेने के बाद कागजों पर हरी स्याही वाले पैन से दस्तखत किए, इस से पहले खुद के लिए हरे रंग को शुभ मानने वाली इस नेत्री ने राज्यपाल कोनिजेती रोसैया को हरे रंग वाला गुलदस्ता भेंट किया. कहने की जरूरत नहीं कि वे हरी साड़ी पहने हुए थीं. विकट की अंधविश्वासी जयललिता ने मेहरबानी यह भर की थी कि मुलाजिमों को हरी ड्रैस में आने को मजबूर नहीं किया था.

अदालत को तो बख्शो

निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपए डकार जाने का कीर्तिमान बनाने वाले सुब्रत राय सहारा और सुप्रीम कोर्ट के बीच 16 महीनों से दिलचस्प जंग चल रही है जिस की प्रस्तावना में सुब्रत अदालत से यह कहते नजर आते हैं कि पहले आप मुझे जमानत दीजिए, फिर मैं पैसों का इंतजाम करूंगा. लेकिन अदालत को उन पर एतबार नहीं, जवाब में वह उपसंहार में कहती है कि पहले आप यह बतलाइए कि पैसे लौटाएंगे कैसे, फिर हम जमानत पर विचार करेंगे. सहाराश्री की बेशर्मी की दाद देनी होगी जिस के चलते उन के वकील कपिल सिब्बल अब बजाय कानून और दलीलों के, सुप्रीम कोर्ट में गिड़गिड़ाने लगे हैं. मई में वे जस्टिस तीरथ सिंह की बैंच के सामने रिरिया से रहे थे कि सर, जुलाई तक की मोहलत दे दें तो वह पैसों का इंतजाम कर देगा. इस गुजारिश पर अदालत ने 2 हफ्ते की मोहलत और दे दी पर लग नहीं रहा कि अदालत अब और ज्यादा पसीजेगी.

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