पहचान का अधिकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परित्यक्ता जसोदा बेन अब हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रही हैं. वे फिर जानना चाहती हैं कि उन्हें किस तरह की सुरक्षा दी गई है और उन की पात्रता क्या है. जसोदा बेन का कहना है कि वे तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करती हैं लेकिन उन के सुरक्षाकर्मी सरकारी वाहनों में चलते हैं और इंदिरा गांधी की हत्या उन के सुरक्षाकर्मियों ने ही की थी. दरअसल, जसोदा बेन सीधे यह पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हैं कि नरेंद्र मोदी की जिंदगी में उन की हैसियत कानूनन क्या है. इसलिए घुमाफिरा कर बात कर रही हैं पर बहुत ज्यादा दिनों तक सब्र रख पाएंगी, ऐसा लग नहीं रहा. जब भी उन के मन की बात जबां पर आएगी तब भूचाल तो आएगा और परित्यक्ताओं की बेचारगी व बदहाली की तरफ लोगों का ध्यान भी जाएगा.

*

गडकरी सिंचाई विधि

यह हम भारतीयों की खास पहचान और आदत भी है कि जहां खाली जगह या दीवार देखते हैं वहां पेट हलका करने के लिए खड़े होने में संकोच या लिहाज नहीं करते. वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में एक सार्वजनिक सभा में यह खुलासा किया कि वे भी दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास में ऐसा करते हैं लेकिन उन की मंशा नेक यानी पेड़पौधों को सींचने की रहती है. बकौल गडकरी, पेशाब से पेड़पौधे हरेभरे रहते हैं और वैज्ञानिक भी इस तथ्य को स्वीकारते हैं. बात सच है कि हरियाली लाने के लिए गांवदेहात से महानगरों तक में आम लोग सिंचाई की इस पद्धति का अनजाने में ही सही, इस्तेमाल करते हैं और प्राकृतिक दबाव के चलते यह भूल जाते हैं कि पेड़पौधों में भी देवता निवास करते हैं. गडकरी ऐसा करें उन की मरजी लेकिन उन्हें यह याद रखना चाहिए कि कभी काझिकोड जाएं तो संभल कर रहें क्योंकि वहां के डीएम पारसनाथ ने एलान कर रखा है कि खुले में पेशाब करने वालों के फोटो, जो भी खींच कर लाएगा उसे इनाम दिया जाएगा.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...