एक सहेली ने पार्टी दी. हम सभी  सहेलियां इकट्ठी हुईं. उस सहेली के घर का बगीचा बहुत सुंदर था. ड्राइंगरूम के कोने में बहुत सुंदर एक्वेरियम रखा हुआ था जिस में रंगबिरंगी मछलियां तैर रही थीं. मैं ने पूछा, ‘‘इस की देखरेख के लिए समय कैसे निकाल पाती हो?’’ वह मुसकराई, बोली, ‘‘मैं नहीं करती इस की देखरेख, पतिदेव करते हैं.’’ हम लोग बड़े खुश हो गए उस के पतिदेव का काम देख कर. ‘‘सारा काम तेरे पति करते हैं, तू क्या करती है, यह तो बता?’’ वह गंभीर हो गई, बोली, ‘‘ये जो पति के काम देख रही हो न, इन को करने के बाद इस की सफाई का काम मैं करती हूं. पतिदेव अब रिटायर हो गए हैं. अभी तक तो उन की आदत थी औफिस में कुरसी पर बैठेबैठे हुक्म चलने की, अब यदि घर में मैं कुछ भी बोलती तो उन्हें बुरा लग सकता था. इसलिए मैं ने पहले ही से उन्हें कहना शुरू कर दिया था कि भई, यह काम तो बड़ा मुश्किल है मुझ से नहीं होगा, केवल आप ही कर सकते हैं यह काम.  ‘‘बस धीरेधीरे इन्होंने काम तो संभाल लिए लेकिन इन से होते तो हैं नहीं, क्योंकि इन्होंने कभी किए ही नहीं. पर मैं ने इन्हें कभी टोका नहीं. ये टैंक साफ करते हैं तो समझो कि पूरा ड्राइंगरूम गंदा हो जाता है लेकिन मैं बाद मैं चुपचाप साफ कर देती हूं. बगीचे में जाते हैं तो तमाम मिट्टी हर कहीं फैल जाती है, मैं बाद में माली को बुला कर ठीक करवा देती हूं. इन के मन में संतुष्टि है कि मैं बहुत काम कर रहा हूं. समय के साथ सीख भी जाएंगे. बाजार से सामान लाना, बगीचा देखना इन सब में इन का समय अच्छे से कट जाता है और बाद के कामों को संभालने में मेरा,’’ कह कर वह मुसकरा दी. हम सब उस की बातों से सहमत हुए और सोचने लगे कि अब हम भी अपनेअपने घर में अपनेअपने पतियों को बारबार न टोक कर उन्हें उन का मनपसंद काम करने  के लिए प्रेरित करेंगे ताकि वे खुश रहें और  हम भी.       

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