मेरे पति किसी कार्य से बाहर गए हुए थे. अचानक मेरे बेटे को बहुत तेज बुखार चढ़ गया. मैं घबरा गई कि क्या करूं. इतने में हमारे पड़ोसी, जो कि बहुत सज्जन हैं, अपने स्कूटर पर मेरे बेटे को बिठा कर डाक्टर के पास ले गए.

डाक्टर ने चैकअप करने के बाद बताया कि टायफाइड है. उन्होंने कुछ दवाइयां दीं. धीरेधीरे मेरे बेटे का बुखार कम हो गया और कुछ दिनों के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया. आज भी अपने पड़ोसी के प्रति मन कृतज्ञता से भर जाता है.

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गीतिका

मेरी सखी कल्पना की बेटी नेहा का ब्याह एक दिसंबर को होना था. लड़के वालों ने भोपाल में बरात न ला कर कल्पना को रिश्तेदारों समेत दिल्ली बुलवाया था. कल्पना 28 नवंबर को सुबह दिल्ली पहुंच गई. शाम को तिलक समारोह के बाद उन्होंने किसी से कहा, ‘मुंबई की आतंकवादी घटना से मन इतना दुखी है कि मेरे बेटे का ब्याह होता तो सादगीपूर्वक निबटा कर जलसा स्थगित कर देती, पर मैं तो...’

आश्चर्य तब हुआ जब लड़के वालों ने अगले दिन उन से मंदिर में ही शादी करने का प्रस्ताव किया और एक दिसंबर को आलीशान होटल में होने वाला समारोह स्थगित कर दिया.

कल्पना जब होटल मैनेजर के पास हिसाब करने पहुंची तो उन्होंने अग्रिम लौटाते हुए कहा, ‘‘आप लोग मुंबई कांड से व्यथित हो कर मानवता के नाते समारोह स्थगित कर रहे हैं तो क्या मैं शहीदों की स्मृति में इतना भी नहीं कर सकता?’’ यह सुन कर कल्पना की आंखें भर आईं. उन्होंने जब फोन पर यह सब बताया तो मुझे लगा कि दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है.

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