घर में रंगरोगन हो रहा था. शाम को सभी मजदूर बैठक का रंगरोगन पूरा कर के जाने की तैयारी में थे. हम लोग सोफे पर बैठ बातचीत कर रहे थे कि मेरे 3 वर्षीय पोते सक्षम ने दीवार पर चित्रकारी कर के गंदा कर दिया. मैं ने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘यह क्या सक्षम, आज ही तो नया रंग हुआ है और आप ने दीवार गंदी कर दी?’’ वह डर कर मुझे देखते हुए वहां से चला गया. दूसरे दिन दूसरे कमरे का कलर हुआ और शाम को उस ने फिर दूसरे कमरे की दीवार पर कलर लगा कर गंदा कर दिया. मैं ने उसे फिर डांटा, ‘‘सक्षम, आप ने कल हौल की दीवार खराब की थी, आज कमरे की. आप को कल समझाया था न?’’

उस ने बड़ी मासूमियत से कहा, ‘‘आप कल बाहर के कमरे के लिए डांट चुके थे न, आज फिर उस के लिए क्यों डांट रहे हो?’’ और हम सब उस की बात सुन हंस पड़े.  

हंसा मेहता, इंदौर (म.प्र.)

*

घर के हम सभी लोग टीवी देख रहे थे. मेरे भाई के 2 बच्चे हैं, बेटी सनना बड़ी है और बेटा स्नेहिल छोटा, 4 साल का है. दोनों बहुत शैतान हैं. एक दिन हम टीवी देखने में व्यस्त थे. दोनों बच्चे खेलकूद रहे थे. खेलते हुए अचानक सनना का पैर फिसला और वह नीचे गिर गई और जोरजोर से रोने लगी. हम सब उठे और सनना को चुप कराने की कोशिश करते रहे पर ज्यादा दर्द होने की वजह से वह चुप नहीं हो रही थी. हम सब परेशान हो रहे थे. तभी न जाने स्नेहिल को क्या सूझी, वह हमारे पास आया और पास आ कर नीचे गिर गया. हम सब फिर घबरा गए परंतु स्नेहिल तुरंत खड़ा हो कर सनना के पास जा कर बोला, ‘‘देख, मैं नीचे गिरा पर मुझे कुछ हुआ.’’ यह देख कर हम सब जोरजोर से हंसने लगे. सनना, जो चुप नहीं हो रही थी, वह भी हंसने लगी. स्नेहिल की यह मासूम सी हरकत देख कर हम ने उसे गले से लगा लिया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...