मशहूर वकील रामजेठमलानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दुखी हैं और इस दुख को सार्वजनिक करने का वे कोई मौका नहीं चूकते. बात ठीक भी है कि दुख को दिल के अंदर नहीं रखना चाहिए वरना वह डिप्रैशन में तबदील हो जाता है. जेठमलानी का दुख व्यापक है. वे नोटबंदी से भी खफा हैं और कौलेजियम सिस्टम में सरकार यानी नरेंद्र मोदी के दखल को ठीक नहीं मानते.

भोपाल आए तो इस दुख को उन्होंने विस्तार से व्यक्त किया, बताया कि एक वक्त में वे नरेंद्र मोदी के बड़े समर्थक व प्रशंसक थे और उन के लिए खूब ऊर्जा खर्च की थी. इकलौती मुद्दे की बात उन्होंने यह कही कि भाजपा ने उन्हें इस शर्त पर लिया था कि वे अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ चल रहे हत्या के मुकदमे की पैरवी करेंगे. इस से साबित होता है कि नामी वकील संसद में पहुंचने की फीस इस तरह भी लेते हैं. 

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