दिग्गी राजा की रानी

सोशल मीडिया पर भले ही मजाक उड़ता रहा पर दिग्विजय सिंह और उन की नईनवेली टीवी एंकर पत्नी अमृता राव ने जो हिम्मत दिखाई वह काबिलेतारीफ है. इस उम्र में शादी हैरत की बात नहीं लेकिन समाज और बातें करने वालों का दृढ़तापूर्वक सामना करना साहस की बात है. अमृता राव ने परिपक्वता का परिचय देते हुए शादी की जरूरत पर खासा व्याख्यान दे कर लोगों का मुंह ज्यादा नहीं खुलने दिया और यह भी साफ कर दिया कि उन्हें दिग्विजय सिंह की दौलत से कोई सरोकार नहीं. इस विवाह और उस के बाद की स्वीकारोक्ति से उन युवाओं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए जो प्यार तो कर बैठते हैं पर जाति, धर्म और उम्र के चलते उसे शादी में तबदील करने से घबराते हैं. उम्मीद है विदेश से लौट कर दिग्विजय सिंह अपने पुराने तेवर में दिखेंगे क्योंकि कांग्रेस पार्टी को भी उन की, अमृता के बराबर ही जरूरत है.

*

अपनों की दगा

चार दशक की सधी राजनीति में मुलायम सिंह ने खूब धोखे खाए हैं और दिए भी हैं इसलिए एक बेहतर मुकाम तक पहुंचने में उन्हें सहूलियत ही रही. लेकिन ताजा धोखा, धोखा ही नहीं बल्कि एक बड़ी दगा है जो उन्हें अपनों ने ही दी है. जोशजोश में मुलायम जनता परिवार के मुखिया तो बन बैठे थे लेकिन बिहार चुनाव में अपने समधी लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और कांग्रेस की तिकड़ी ने सीट बंटवारे पर उन्हें भाव नहीं दिया तो नेताजी को ताव आना स्वाभाविक बात थी. इसी ताव में उन्होंने सपा को बिहार में सभी 242 सीटों पर लड़ाने का ऐलान कर डाला जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. इस से साबित हो गया कि बिहार में सपा के लिए न तो कोई जगह है न जरूरत है. वहां तो पहले से ही एकएक सीट के लिए मारकाट मची हुई है. इस से तो अच्छा था कि मुलायम सिंह बड़प्पन दिखाते. जो नहीं मिलना था उस का त्याग कर डालते. वजह, उन की पार्टी से बिहार में किसी को कोई नफानुकसान नहीं होने वाला.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...