सियासी ललकार

बीती 5 मई को मध्य प्रदेश में अचानक गरमी का पारा बढ़ गया था. इस का असर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी दिखा. वे अशोक नगर जिले के बमौरी टांका गांव में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत पूजन करने आए?थे लेकिन बजाय पूजापाठ के वे हिंसकविध्वंसक बातें करते रहे.

हुआ यों कि इस इलाके के भारतीय जनता पार्टी विधायक देशराज सिंह यादव और उन के समर्थकों ने सिंधिया के खिलाफ जम कर नारेबाजी शुरू कर दी जिस से ज्योतिरादित्य का शाही खून खौल उठा. वे फिल्मी स्टाइल में बांहें चढ़ा कर ललकारे कि तुम तो 10-15 लोग हो, मैं चाहूं तो चंबल इलाके के सारे लोगों को यहां ला कर खड़ा कर दूंगा. तुम लोग 15-20 गाडि़यां लाए हो, मैं हजार गाडि़यां ला कर खड़ी कर दूं. बात आईगई हो गई, पर जूनियर सिंधिया का यह फिल्मी गुस्सा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित होगा. कारण, वे अपनी पर जो आ गए हैं.

किस हक से नौकरी

16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप की शिकार हुई दामिनी को मई के महीने में भले न्याय मिल जाए पर तरस उस के दोस्त पर तब आया जब उस ने सरकार से नौकरी की मांग कर डाली. इस मामले में सरकार पीडि़ता के 2 परिजनों को नौकरी और एक फ्लैट पहले ही दे चुकी है.

पर दामिनी के दोस्त ने किस हक से नौकरी मांगी, इस से ज्यादा हैरत की बात इस युवा में स्वाभिमान व आत्मविश्वास का बिलकुल भी न होना है. वह इतमीनान से जिंदगी बसर करने के लिए अपनी साथी को अपराधियों से ज्यादा जलील कर रहा है. ऐसे मामलों में सरकारी मुहताजी बताती है कि कैसे जघन्य और शर्मनाक अपराध भुनाए जा रहे हैं. जो शख्स बलात्कारियों से नहीं जूझ सका वह रोजीरोटी के लिए किस हक से सरकारी नौकरी मांग रहा है, बात वाकई समझ से परे है.

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