मनोहारी हिंदुत्व

सैरसपाटे के लिए गोआ देशवासियों की पहली पसंद है जहां काजू की शराब और समुद्र्र के किनारे वर्जित दृश्य इफरात से देखने को मिलते हैं. कैथोलिकों की पहली पसंद रहे इस गोआ की भाजपाई सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर हैं. वे पूर्ण नहीं मगर अर्ध कट्टरवादी हिंदू तो कहे जा सकते हैं. बीते दिनों मनोहर पर्रीकर ने नरेंद्र मोदी की पीएम पद पर दावेदारी पर टंगड़ी अड़ा दी तो कहनेसुनने वालों ने भी यहीं तक दिलचस्पी ली. इस के बाद के हिस्से पर किसी ने ध्यान नहीं दिया कि देश के कैथोलिक ईसाई सांस्कृतिक रूप से हिंदू हैं, क्योंकि उन की प्रथाएं परंपरागत कैथोलिकों के बजाय हिंदुओं से मेल खाती हैं. इस बयान पर तरस ही खाया जा सकता है जो कैथोलिकों को हिंदू साबित करने पर तुला हुआ है. अब शायद पर्रीकर को पता हो कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के ईसाई बन गए हिंदू आज भी शादी के पहले मातापूजन करते हैं पर उन की माता का नाम इंगलिश देवी है.

अपनेअपने सामंतवाद

मध्य प्रदेश में जैसे ही कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को स्टार प्रचारक घोषित किया तो इस नई चाल से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी बौखलाहट पर काबू नहीं रख पाए और तुरंत जनसभाओं में कहना शुरू कर दिया कि मैं महाराज नहीं सेवक हूं और कांग्रेस सामंतवादी पार्टी है.

हाजिरजवाब सिंधिया ने पलटवार करते हुए शिवराज की बोलती यह कहते बंद कर दी कि भाजपा मेरी दादी विजयाराजे सिंधिया और बूआ वसुंधराराजे सिंधिया को मंत्री, मुख्यमंत्री बनाती रही है, तब सामंतवाद कहां था. कम ही लोग जानते हैं कि इन दोनों के झगड़े की असल जड़ सामंत या गैर सामंतवाद कम सिंधिया की शैक्षणिक संस्थाओं को राज्य में जमीन और सुविधाएं न देना ज्यादा है. इस पर खार खाए बैठे ज्योतिरादित्य अब कमर कस कर मैदान में कूद पड़े हैं और जनता भी चटखारे लेने लगी है कि अब आएगा चुनाव का मजा.

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