बड़े भाई की शादी के बाद बहू घर पर आई तो रस्में शुरू हो गईं. कंगना खिलाई हो रही थी. थाल में दूध डाल कर उस में अंगूठियां डाल देते हैं दूल्हादुलहन की. फिर उन से कहते हैं, अंगूठी ढूंढ़ो. जो पहले ढूंढ़ लेता है वह जीतता है. ऐसे 3 बार करते हैं. जो तीसरी बार जीतता है वही जिंदगीभर अपने जीवनसाथी से जीतेगा, ऐसा माना जाता है. रस्म हो रही थी. सभी लोग आनंद ले रहे थे. इतने में मेरा 14 साल का भांजा बोला, ‘‘मामा, मैं जब शादी करूंगा तो सब रस्मों की प्रैक्टिस घर से ही कर के जाऊंगा जिस से कि हारूं नहीं.’’ यह सुन कर सब जोर से हंस पड़े.

- विकास भटनागर, कल्याण (महा.)

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मेरा 6 वर्षीय भतीजा बहुत भोला एवं हाजिरजवाब है. एक बार हम परिजन गपें मार रहे थे. मेरे देवर ने कहा, ‘भाभी, ज्यादातर गाने औरतों, पर ही क्यों बनाए जाते हैं, जैसे ‘नानी तेरी मोरनी को...’ या ‘दादी अम्मा दादीअम्मा मान जाओ...’ या ‘तू कितनी अच्छी है तू कितनी भोली है ओ मां...’ आदि.’ मैं ने कहा, ‘‘पुरुषों पर भी बनते हैं. वैसे, अभी मुझे कोई गाना याद नहीं आ रहा है...’’

मेरा भतीजा हमारी बातें सुन रहा था. बीच में ही तपाक से बोल पड़ा, ‘ना ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे...’ है. दरअसल, ‘विविध भारती’ पर कुछ देर पहले ही हम सब ने ‘ना ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे...’ फिल्मी गाना सुना था. ना ना - ना ना तो उसे सुनाई एवं समझ आया पर बाकी के गाने का मतलब वह नहीं समझा. सो, वह समझ बैठा कि वह गाना ‘नाना’ पर है. उस के भोलेपन एवं हाजिरजवाबी पर हम सभी हंस पड़े.

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