मेरा 4 साल का पोता उत्कर्ष जब मेरे साथ खेलने के लिए आया. तब मैं सोने की तैयारी में लेटा हुआ था. उस की दादी ने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा, तेरे दादाजी की बैटरी डाउन हो गई है, चलो हम दोनों खेलते हैं. उत्कर्ष मुसकराते हुए बोला, ‘‘मैं अभी दादाजी की बैटरी चार्ज कर देता हूं’’ यह कह कर उस ने अपनी उंगली मेरे पेट में गड़ा दी. उस की बात सुन कर और उस की उंगली अपने पेट? से लगी देख, मैं और उस की दादी दोनों हंस पड़े.      

डा. सी बी सिंह

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अलीगढ़ में उस दिन वोट डाले जाने थे. मेरी ढाई वर्ष की नातिन बहुत तेज और चुलबुली है. हम लोग सुबह से ही वोट डालने की तैयारी कर रहे थे. वह भी हमारे साथ चल पड़ी. वोटस्थल पर जा कर वह बोली, ‘‘नाना, यहां बोट और पानी तो कहीं है ही नहीं.’’ और फिर जोरजोर से रो कर बोली, ‘‘नाना, हमें बोट में बैठना है.’’ उस की बात समझ कर सभी ने मिल कर उसे चुप कराया. वह वोट नहीं जानती थी, उस ने वोट को बोट समझा था. 

विजय कुमार कपूर

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मैं अपने 5 वर्षीय बेटे की खिलौनों, टौफीज, बिस्कुट की रोजाना की जिद्द से परेशान थी. एक दिन वह पढ़ाई नहीं कर रहा था तो मैं ने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा, पढ़ोगे नहीं तो औफिसर कैसे बनोगे? और पैसे कैसे कमाओगे? जब पैसे कम मिलेंगे तो अपने बच्चों को चीजें कैसे दिलाओगे? तुम्हें उन को कई चीजों के लिए मना करना पड़ेगा तब क्या तुम्हें अच्छा लगेगा?

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