दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दलितों को दाना डालना शुरू कर दिया है. उन्होंने एक भारीभरकम दलित मैनिफैस्टो जारी किया है जिस में दलितों की बदहाली दूर करने के तमाम टोटके हैं. पंजाब में 32 फीसदी वोट दलितों के हैं जो जाहिर है अगर आदमी पार्टी को मिल जाएं तो उस की बल्लेबल्ले हो जाएगी.

पंजाब के दलितों और शेष देश के दलितों की सामाजिक हैसियत में काफी फर्क है. सिख गुरुओं का प्रभाव पंजाब के जनमानस पर साफसाफ दिखता है जो हमेशा बराबरी की बात करते थे. पंजाब में भेदभाव, प्रताड़ना और छुआछूत जैसी बीमारियां इतने पैर नहीं पसार पाईं कि दलितों को उन के दलितपने का एहसास करा कर वोट झटके जा सकें. बसपा यहां हाजिरी दर्ज कराती रही है जिस से अरविंद केजरीवाल उत्साहित हैं. लेकिन यह समझ पाना मुश्किल है कि पंजाब में अरविंद केजरीवाल दलितसवर्ण खाई पाटेंगे या और खोदेंगे.

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