हम लोग एक बार उदयपुर घूमने गए. रास्ते में एक दिन के लिए हम अपने एक परिचित के यहां रुक गए. चलते समय उन परिचित ने रास्ते के लिए डब्बे में पैक कर के खाना दिया. भूख लगने पर जब हम ने डब्बा खोला तो पाया कि जिस मिठाई के डब्बे में उन्होंने खाना रख कर दिया था उस में चारों ओर से फफूंद लगी थी. सारा खाना फेंकना पड़ा. इन सब घटनाओं के विपरीत, मेरी एक भाभी खाना इतनी अच्छी तरह से पैक करती हैं कि भूख न होने पर भी खाना खाने की इच्छा हो जाती है. वे साफसुथरे डब्बे में खाने के साथसाथ अचार, सलाद और मिठाई सब अलगअलग सिल्वर फौइल में पैक कर के रखती हैं. साथ ही जिस बैग में खाना होता है उस में डिस्पोजल प्लेट, गिलास, चम्मच, पेपर नैपकिन और बिछाने के लिए पेपर भी मौजूद होता है.

1. आप जब किसी के यहां खाने का कुछ सामान भिजवाएं अथवा पैक करें तो इस प्रकार से हो जिसे देख कर सामने वाले का मन खुश हो न कि खिन्न. आप की जरा सी लापरवाही आप की समस्त सुघड़ता पर प्रश्नचिन्ह लगा देती है. इसलिए ध्यान रखें:

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2. खाना पैक करने वाला डब्बा चाहे स्टील, प्लास्टिक या गत्ते का हो, वह पूरी तरह से साफसुथरा होना चाहिए. टूटेफूटे, मैलेकुचैले या फफूंद लगे डब्बे का प्रयोग न करें.

3. खाना पेपर या कौपी के कागज में न लपेट कर सिल्वर फौइल में लपेटें. सब्जी, अचार, पूड़ी के लिए अलगअलग सिल्वर फौइल का प्रयोग करें. सब्जी, अचार आदि रखने के लिए जिप वाले छोटे प्लास्टिक बैग का प्रयोग भी कर सकती हैं.

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