काली गाजर के गुणों के कारण इस की खेती बढ़ती जा रही है. इस से किसानों को मुनाफा होने लगा है. तमाम गुणों वाली काली गाजर की खेती को किसान लगातार तरजीह दे रहे हैं. पीली व लाल रंग की गाजर के मुकाबले तेजी से इस का बाजार बढ़ रहा है. देश ही नहीं विदेशों में भी इस की मांग बढ़ने लगी है और किसान इसे एक्सपोर्ट करने की दिशा में बढ़ चुके हैं. पंजाब जैसे प्रदेशों में सैकड़ों किसानों ने काली गाजर की खेती को सब्जियों की फसल का खास हिस्सा बना लिया है. कैंसर व पेट की बीमारियों की दवाओं में काली गाजर के इस्तेमाल ने इस की खेती को बढ़ा दिया है.

गर्भावस्था में गाजर का रस पीते रहने से सैप्टिक रोग नहीं होता और शरीर में कैल्शियम की कमी भी नहीं रहती है. बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं को नियमित रूप से गाजर के रस का इस्तेमाल करना चाहिए. इस से उन के दूध की गुणवत्ता बढ़ती है. दिल कमजोर होने पर रोजाना 2 बार गाजर का रस पीने से लाभ होता है. गाजर का रस और पालक का रस मिला कर पीने से खून में लाल कणों का इजाफा होता है.

बनाने की सामग्री

काली गाजर 1 किलोग्राम (8-10 गाजरें मध्यम आकार की), चीनी 250 ग्राम, मावा 250 ग्राम, दूध 1 कप, देशी घी 1 टेबल स्पून, किशमिश 1 टेबल स्पून, काजू 12-15 ग्राम, छोटी इलायची 5-6.

बनाने की विधि

हलवा बनाने के लिए काली गाजरों को छील कर अच्छी तरह धो लीजिए और फिर उन्हें कद्दूकस कर लीजिए. मावे को कढ़ाई में डाल कर धीमी आंच पर भून लीजिए. भुना हुआ मावा प्याले में डाल कर अलग रख लीजिए. कद्दूकस की हुई गाजर कढ़ाई में डाल कर गैस पर रखिए और उस में दूध डाल दीजिए. गाजर को नरम होने तक पकने दीजिए. इस के बाद गाजर में चीनी मिला दीजिए. थोड़ीथोड़ी देर में गाजर को पलटे से चलाते रहें. रस जलने तक गाजरों को पकाएं. पकी गाजरों में घी डाल कर भूनें. फिर उस में किशमिश, काजू और मावा मिलाएं. हलवे को चलाते हुए 2-3 मिनट तक और पकाएं. फिर गैस बंद कर दें और छोटी इलायचियों को पीस कर मिलाएं. आप का गाजर का हलवा तैयार है. गाजर के हलवे में सूखे मेवे अपनी पसंद के मुताबिक कम या ज्यादा कर सकते हैं. जो मेवे आप को पसंद हों उन्हें डाल सकते हैं और जो नहीं पसंद हों उन्हें हटा सकते हैं.

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