भोपाल के पौश इलाके शिवाजी नगर में रहने वाली नीलम कोहली के पति वन विभाग में उच्च पद पर हैं. शादी के बाद नीलम को जब घरपरिवार और बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी से फुरसत हुई तो अपना कुछ करने की उन की पुरानी इच्छा ने सिर उठाया. लिहाजा, खानेपकाने की शौकीन नीलम ने घर से ही स्नैक्स का कारोबार शुरू कर दिया, जो अब इतना बढ़ गया है कि दर्जनभर कर्मचारी उन्हें रखने पड़े हैं. कैटरिंग या व्यंजन का काम चलाना आसान इसलिए भी है कि इस में लागत कम आती है.

कच्चा माल हर कहीं मिल जाता है जिस में तेल, बेसन, मसाले और ईंधन प्रमुख हैं. घर में बेसन के तरहतरह के नमकीन दाल चूड़ा, भुजिया और दूसरे व्यंजन आसानी से बनाए जा सकते हैं. इन्हें बेचने में शुरुआती दौर में परिचितों का सहारा लिया जा सकता है. इस में पैसा नकद मिलता है और कई बार तो ग्राहक अग्रिम भी देते हैं. प्रचार के लिए बेहतर है कि शुरू में घरघर जा कर अपने उत्पाद, उस की खूबियां बता कर बेचे जाएं और जायके के लिए सैंपल दिए जाएं. बच्चों के लिए खासतौर से बगैर मिर्च वाले आइटम जैसे सेव, गठिया वगैरह बनाए जाएं.

सामान के नाम पर पैकिंग मशीन और एक इलैक्ट्रौनिक तराजू पर्याप्त होता है. कारोबार बढ़ाने के लिए अच्छा यह भी होता है कि आसपास के घरों में अपने विजिटिंग कार्ड दे दिए जाएं जिस से जरूरत पड़ने पर ग्राहक फोन पर और्डर बुक करा सकें. कारोबार का दूसरा चरण खाना बनाने का है. आजकल छोटेमोटे पारिवारिक आयोजनों में 40-50 लोगों को खाना खिलाना आम बात है. यदि इस के लिए होटल में लोग आयोजन करें तो 300 रुपए प्रति व्यक्ति खर्च आता है.

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