दुनिया के कई देशों में प्रतिभाओं की कमी संबंधी एक सर्वेक्षण हाल में सामने आया है. सर्वेक्षण के अनुसार विकासशील, अर्द्धविकसित ही नहीं, बल्कि जापान तथा इंगलैंड जैसे विकसित देशों की कंपनियां प्रतिभाओं की कमी से जूझ रही हैं. उचित और प्रतिभाशाली व्यक्ति न मिलने से कई कंपनियों में शीर्ष पदों पर लंबे समय से भरती नहीं हो पा रही है. इसी वजह से भारत की 56 प्रतिशत कंपनियों में शीर्ष पदों पर भरती में दिक्कत आ रही है.

भारत प्रतिभाओं की कमी से जूझ रहे 10 शीर्ष देशों में शामिल है. सर्वेक्षण में 40 हजार से अधिक कंपनियों को शामिल किया गया है. सर्वेक्षण से खुलासा हुआ है कि 45 प्रतिशत कंपनियों को प्रतिभाओं की कमी के कारण पदों को भरने में दिक्कत हो रही है. उन में कई बार निचले स्तर के पदों के लिए भी योग्य व्यक्ति नहीं मिल पाते. प्रतिभाओं की कमी के क्रम में भारत दुनिया में 5वें स्थान पर है. यहां 56 प्रतिशत कंपनियों को प्रतिभा की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

जापान इस में पहले स्थान पर है और वहां 89 प्रतिशत पदों पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं. दूसरे नंबर पर रोमानिया, ताइवान, हौंगकौंग, बुल्गारिया हैं जबकि भारत के बाद शीर्ष 10 देशों में स्पेन, नीदरलैंड्स, इंगलैंड, आयरलैंड तथा चीन शामिल हैं. विश्व मंच पर यह नई तरह की दिक्कत सामने आई हैं.

दुनिया में कहीं भी पढ़ेलिखे युवकों की कमी नहीं है, लेकिन प्रतिभा की कमी है. कुछ साल पहले एक सर्वेक्षण आया था जिस में कहा गया कि भारत में बीटैक की डिगरी हासिल करने वाले युवाओं में 60 फीसदी को अंगरेजी नहीं आती है. यह बड़ी त्रासदी है. सिर्फ गले में डिगरी टांग कर नौकरी मांगने का प्रयास पुराना है. नई पीढ़ी को समग्र बन कर नई सोच के साथ सामने आना है.

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