बेनामी सौदों को रोकने के लिए बनाया गया नया कानून एक नवंबर से प्रभाव में आ जाएगा. इस कानून के तहत बेनामी सौदों में लिप्त पाए जाने पर सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. कालेधन की बुराई को रोकने के लिए संसद ने अगस्त में बेनामी सौदा (निषेध) कानून पारित किया है.

हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस कानून को पारित कराते समय यह अश्वासन दिया था कि वास्तविक धार्मिक ट्रस्टों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाएगा. केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के यहां जारी वक्तव्य के अनुसार, ‘बेनामी सौदे (निषेध) कानून एक नवंबर 2016 को अमल में आ जाएगा. इसके प्रभाव में आने के बाद मौजूदा बेनामी सौदे (निषेध) कानून 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून 1988 कर दिया जाएगा.’

मौजूदा कानून में जहां बेनामी सौदे करने के मामले में तीन साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है जबकि नए संशोधित कानून में सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. बेनामी कानून में ऐसे सौदों की परिभाषित किया गया है, उनका निषेध और कहा गया है कि इसके नियमों का उल्लंघन करने पर दंड दिया जायेगा जिसमें सजा और जुर्माना दोनों होंगे.

बेनामी संपत्ति का लेनदेन निषेध (पीबीपीटी) कानून में जिस संपत्ति को बेनामी करार दिया गया है उसे बेनामीदार से संपत्ति के वास्तविक मालिक द्वारा वापस लेने को भी निषेध ठहराया गया है. इस कानून के तहत एक अपीलीय व्यवस्था भी रखी गई है. इसमें ऐसे मामलों के निपटारे के लिये न्याय प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण होगा.

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