वैश्विक स्तर पर विभिन्न बाजारों के कमजोर रहने का दबाव बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई में देखने को मिला. चौतरफा बिकवाली का माहौल बना और बाजार में सुस्ती रही. वैश्विक बाजार में मंदी की वजह अमेरिकी फैड रिजर्व द्वारा ब्याज दरों को ले कर असमंजसता रही. लेकिन 22 सितंबर को अमेरिका के फैड रिजर्व द्वारा ब्याज की दर यथावत रखने के निर्णय से विश्व बाजारों में फिर तेजी का माहौल बना. इस तेजी के बावजूद बीएसई का सूचकांक सुस्त रहा. भारतीय बाजार को जो उत्साह दिखाना चाहिए था उस दौरान वह नहीं देखा गया और सूचकांक मामूली तेजी पर बंद होता रहा. इधर, रुपए में भी मामूली मजबूती देखने को मिली और डौलर के मुकाबले रुपया मजबूती के रुख पर रहा.

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